बचपन में कई बार पठानों को नेहरु प्लेस के लॉन में यौन ताकत बढ़ाने की दवा बेचते देखता था. वह जब बोलने लगते तो सूट-बूट पहने बड़े अधिकारी से लेकर रिक्शावाले तक, सभी के कान का रडार पहले के ज्यादा काम करने लगता. आठ-दस मिनट के बाद वह जादूई चूरण वे तेल गोलदारा बना कर ख़ड़ी भीड़ को दिखाने के साथ अपनी लछेदार और शरीर में हरारत पैदा करने वाली बकैती खत्म करते.
महज इतने से समय में ही उनके दावों को सुनने वाले मान लेते थे कि आज से उनका नया यौन जीवन शुरु होगा.
सफल मार्केटिंग के लिए ऐसा हुनर सबसे बड़ी जरुरत व ताकत है.
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी एक बार फिर से लाइव कैमरों के सामने थे. अभी दो दिन पहले की मन की बात कर चुके मोदी ने अपनी सारी योजनाओं के बारे में फिर से जनता को अवगत करवाया. जब प्रसारण की घोषणा हुई तो सभी को लगा की सीमाओं पर हो रहे जमीन के कब्जे पर चीन को लेकर कोई दमदार बात होगी.
पिछले छह साल में प्रधानमंत्री की अपनी इमेज जब भी खतरे में पड़ी है, उन्होंने उनको लेकर जनता में बने तिल्सम को बरकार रखने के लिए सोशल मीडिया, न्यूज चैनलों का सहारा लेने के अलावा गजब के यू-टर्न मारे हैं.
लद्दाख में गलवान वैली में चीन की सेना मई से घुसी हुई है. उन्हें वहां से वापस अपने क्षेत्र में भेजने के लिए मई से ही राजनैतिक, कुटनीतिक और सेना के स्तर पर बातचीत जारी थी. यह सारी गतिविधियां सार्वजनिक हैं, किसी से कुछ छिपा नहीं है.
चीन की सेना ने 15 जून को 20 भारतीयों का नरसंहार कर दिया. पहले कहा गया कि तीन सैनिक मरे हैं. शाम होते-होते यह संख्या 20 हो गई. फिर बताया गया कि अधिकारियों सहित 10 सैनिक चीन के कब्जे में हैं. तीन दिन की बातचीत के बाद ही चीन ने सैनिकों को लौटाया.
पाकिस्तान को बालाकोट की तरह चीन पर भी सैन्य कार्रवाई करने की बाते होंने लगीं. सरकार और प्रधानमंत्री से सवाल किया जाने लगा कि आखिर अब आंखें लाल करके चीन को करारा जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा. उनके 56 इंच सीने वाले बयान का मखौल उड़ा. राहुल गांधी ने भी ललकारा वे क्यों छिप रहे हैं. उन्हें बाहर निकला चाहिए. पूरा देश उनके साथ है.
मामला इमेज का हो गया. साफ था कि यह खतरा मोदी किसी भी तरह से नहीं ले सकते थे. इसलिए टीवी पर सीधे प्रसारण में कह दिया कि ना तो कोई भारत की सीमा में घुसा है और ना ही कोई कब्जा हुआ है. ऐसे में क्या हमें मान लेना चाहिए कि हमारे 20 सैनिक चीन की सीमा में मारे गए! फिर दोनों पक्षों में किस मसले को लेकर बातचीतों का सिलसिला चल रहा था!
अभी दो दिन पहले ही चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया को दिए इंटरव्यू दिया.इसमें उन्होंने आशा जताई कि चीन अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपने इलाके में लौट जाएगा.
यहां किसी को तो बताना चाहिए कि झूठ कौन बोल रहा है!
चूंकि मोदी सीना ठोक कर आत्मविश्वास से लबालब लहजे में दावा कर चुके थे कि कोई भारत की सीमा में नहीं घुसा है, सरकार ने पीटीआई को ही देशद्रोही करार दिया.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.
नेशनल रजिस्टर ऑफ सीटिजन (एनआरसी) के मामले में देश मोदी का फटाक से मुकरना देख चुका है. उनके होम मिनिस्टर ने पांच मौकों पर सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर सीधे शब्दों में कहा कि एनआरसी आने वाला है. नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (सीएए) के पास होने के बाद पूरा देश जल रहा था क्योंकि मुसलिमों को लगा सीएए के पास होने के बाद एनआरसी को अगर प्रस्तावित नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर से लिंक किया जाता है तो उनकी नागरिकता खतरे में पड़ गया.
First we will pass the Citizenship Amendment bill and ensure that all the refugees from the neighbouring nations get the Indian citizenship. After that NRC will be made and we will detect and deport every infiltrator from our motherland. pic.twitter.com/oB2SlBaQ0j
— Amit Shah (@AmitShah) May 1, 2019
विदेशी मीडिया में सरकार के इस कदम का जबरदस्त आलोचना हुई. यूनाईटेड नेशन और मानवाधिकारों की रक्षा में लगे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इसे भेदभाव पैदा करने वाला कदम घोषित कर दिया.
मामला इमेज का था. लिहाजा प्रधानमंत्री ने रामलीला मैदान में लाइव टेलिकास्ट में पूरे आत्मविश्वास से घोषित कर दिया कि एनआरसी पर किसी भी तरह की चर्चा नहीं हुई है. यहां फिर किसी को बताना चाहिए था आखिरी झूठ कौन बोल रहा था!
असल में भाजपा ने मोदी की इमेज को बनाए रखने के लिए बहुत बड़ा निवेश किया है. इस निवेश से करोड़ों लोगों के चाईनीज एंड्राइड मोबाइल फोन पर सिर्फ मोदी का कब्जा हैं . इस इमेज को बचाने के चक्कर में बतौर पार्टी भाजपा की अपनी हालत खराब कर ली है. अगर ऐसा ना होता तो वह लगातार राज्यों के चुनाव ना हार रही होती.
इसमें कोई बहस ही नहीं है कि मोदी इस समय सबसे लोकप्रिय नेता हैं. लोकसभा चुनावों में लोग कहते थे कि वे मोदी को वोट दे रहे हैं ना कि अपने उम्मीदवार को.
मोदी के हक में यह माहौल बनने का सबसे बड़ा कारण फ्री में मिलने वाला एक जीबी डाटा है. फ्री इंटरनेट होने के कारण हर समय मोदी के बारे में 365 दिन प्रचार चलता है. लगता है कि मोदी को इस बात का ऐहसास है और गलवान घाटी और रामलीला मैदान पर उनका लाइव टेलिकास्ट में मुकर जाना इसका सबसे बड़ा सुबूत है.
सोशल मीडिया पर मोदी को लेकर ऐसी-ऐसी गप्पें और झूठ प्रसारित किए जाते हैं. उदहारण के लिए एक वाट्सऐप वीडियों में विदेश यात्रा के दौरान उनके पीछे उस मुल्क का सैनिक छाता लेकर चल रहा है. इस वीडियों संदेश में लिखा है कि क्या पहले किसी प्रधानमंत्री का ऐसा सम्मान देखा है! अब गांव-देहात में बैठे लोगों को अंदाजा भी नहीं है कि प्रोटोकोल नाम का काई शब्द भी होता है.
एक वायरल फेसबुकस पोस्ट बताती है कि यूनेस्को ने मोदी को दुनिया का सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री चुना है. अब कौन बताएगा कि यूनेस्को यह सब नहीं करती. ऐसा दिख नहीं रहा कि मोदी उन्हें यहां तक ला खड़े करने वाले तिलस्म को किसी भी कीमत पर टूटता नहीं देखना चाहेंगें. इसके लिए चाहें उन्हें कितनी भी हद पार करनी पड़े.
…और फिर सोशल मीडिया और उसका सबसे कामयाब बेटा, वाटसऐप और बावले भक्तों की सेना भी तो उनके साथ है.
( नोट- यह लेखक का निजी विचार है)