जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को करारा झटका दिया है। उपराज्यपाल ने अनलॉक-3 में होटल और एक सप्ताह के लिए प्रायोगिक तौर पर साप्ताहिक बाजार को खोलने के अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है।
उपराज्यपाल का कहना है कि कोविड-19 की स्थिति नाजुक बनी हुई है और खतरा अभी दूर नहीं हुआ है, ऐसे में बाजार व होटल नहीं खोले जा सकते।
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने अनलॉक-3 के लिए गाइडलाइंस जारी करते हुए गुरुवार को दिल्ली में होटलों को फिर से खोलने का फैसला किया था। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और कोविड-19 से बचाव के सभी आवश्यक उपायों को अपनाते हुए शनिवार 1 अगस्त से सात दिन के लिए प्रायोगिक आधार पर साप्ताहिक बाजारों को भी अनुमति दी गई थी। सब कुछ सही रहने पर इन्हें नियमित रूप से खोलने की बात कही गई थी।
बता दें कि राजधानी में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दिल्ली सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तरह जिम खोले जाएंगे। रात दस बजे से सुबह पांच बजे तक लगने वाला रात का कर्फ्यू अब नहीं लगेगा। दिल्ली के होटल अब अस्पतालों से जुड़े हुए नहीं हैं, इसलिए दिल्ली सरकार ने होटलों में समान्य कामकाज शुरू करने करने की अनुमति देने का फैसला किया है। पहले से ही हॉस्पिटैलिटी सेवाओं की अनुमति केंद्र सरकार के अनलॉक-3 गाइडलाइंस के अनुसार दी गई है।
इन फैसलों पर भी रोक लगा चुके हैं उपराज्यपाल
इससे पहले गुरुवार को भी उपराज्यपाल ने दिल्ली दंगा मामलों में पैरवी के लिए दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज करने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के फैसले को पलट दिया था। केजरीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक में दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस द्वारा प्रस्तावित वकीलों के पैनल को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा संबंधी मामले की पारदर्शी और निष्पक्ष सुनवाई में मदद नहीं मिलेगी। कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में दंगा मामलों की चल रही सुनवाई में पैरवी के लिए वकीलों को नियुक्त करने के संबंध में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
बीते दिनों दिल्ली में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने होम क्वारंटाइन को बंद करने का आदेश दिया था। उन्होंने सभी कोरोना मरीजों के लिए कम से कम पांच दिन इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन जरूरी कर दिया था। एलजी के फैसले का दिल्ली सरकार ने विरोध करते हुए उसे मनमाना करार दिया था। हालांकि, केंद्र सरकार के दखल के बाद एलजी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।