अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । असम विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में लगभग एक माह का समय है लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से पहले ही गठबंधन के उम्मीदवारों को राज्य से बाहर भेजना शुरु कर दिया है। कांग्रेस गठबंधन के कुछ उम्मीदवारों को जयपुर के रिसॉर्ट लाया गया है, जबकि कुछ को छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी हो रही है। ताकि बीजेपी उन्हें नतीजों के पहले या बाद में अपने पाले की कोशिश में कामयाब न हो पाए। साथ ही कांग्रेस यह संदेश देना चाह रही है कि असम में बीजेपी का खेल खत्म हो गया। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई से बंगाल में होने वाले बांकि विधानसभा चुनावों पर भी असर डालेगा।
कांग्रेस के नेताओं का पाला बदलने का आलम यह है कि असम में कांग्रेस गठबंधन में शामिल बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) का एक उम्मीदवार तो मतदान के ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गया था। इससे गठबंधन को गहरा झटका लगा था। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने इस सीट पर मतदान स्थगित करने की मांग भी खारिज कर दी थी।
बताया जाता है कि जयपुर लाए गए प्रत्याशियों में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), बोड पीपुल्स फ्रंट (BPF)और लेफ्ट पार्टी के उम्मीदवार शामिल हैं। 2 मई को नतीजे आने के बाद तक बाड़ेबंदी जारी रह सकती है। सूत्रों के मुताबिक इन सभी उम्मीदवारों को कांग्रेस शासित राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक होटल में ठहराया गया है। पिछले साल जब राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पर संकट आया था तब पार्टी के विधायकों को इसी होटल में भेजा गया था।
पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री गहलोत खेमे के विधायकों को जिस फेयरमोंट रिसॉर्ट में बाड़ेबंदी में रखा गया था, अब उसी होटल में असम के कैंडिडेट्स को रखा गया है। सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी और कांग्रेस विधायक रफीक खान बाड़ेबंदी की कमान संभाल रहे हैंं। कांग्रेस ने असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था।
असम ये नेता लाए गए हैं जयपुर
असम से शुक्रवार को जयपुर पहुंचे AIUDF नेताओं में सुहाना रहमान, असमा खातून, समसुल हुडा, हफीज बसीर अहमद, मिनाक्षी रहमान, अब्दुल्ला अमीन, निजानुर रहमान, रजीब अहमद, अमीनुल इस्लाम, सुजामुद्दीन लश्कर, निजामुदृदीन चौधरी, नजरूल हक, अमीनुल इस्लाम, असरफुल हुसैन, करीमुद्दीन बरभुइय्या, नरूल हुडा और जाकिर हुसैन शामिल हैं।
महेश जोशी बोले- भाजपा कर सकती है खरीद फरोख्त
सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा, ‘भाजपा के केंद्र में सत्ता में रहने तक विधायकों की खरीद-फरोख्त की गुंजाइश बनी ही रहती है। असम से आने वाले नेता हमारे मेहमान हैं। ये कितने दिन रहेंगे, हमने उनसे पूछा नहीं। हमारी जिम्मेदारी उनकी देखभाल की है। जब तक ठहरेंगे, तब तक हम उनकी अच्छे से खातिरदारी करेंगे। हम तो सबको अपना मेहमान मान रहे हैं। राजस्थान का नारा है पधारो म्हारे देस।।।।’
कांग्रेस और सहयोगी दलों की बाड़ेबंदी के लिए राजस्थान सबसे सेफ
मौजूदा राजनीतिक हालात में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेताओं और विधायकों की बाड़ेबंदी के लिए सबसे सुरक्षित राज्य है। मुख्यमंत्री गहलोत का लंबा राजनीतिक अनुभव होने के साथ उनके साथ कांग्रेस हाईकमान का विश्वास भी है। इसीलिए जब भी बाड़ेबंदी होती है, तब राजस्थान की चुनाव ही किया जाता है।
बाड़ेबंदी और सियासी पर्यटन का हब बन रहा राजस्थान
पिछले 2 साल में राजस्थान सियासी बाड़ेबंदी और राजनीतिक पर्यटन का हब बनता जा रहा है। नवंबर 2019 में महाराष्ट्र के विधायकों की जयपुर के दिल्ली रोड स्थित रिसॉर्ट में बाड़ेबंदी की गई। इसके बाद फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों की दिल्ली रोड के होटल और रिसॉर्टस में बाड़ेबंदी की गई थी।
गुजरात के विधायकों की बाड़ेबंदी पिछले साल मार्च आखिर में लॉकडाउन लगने के बाद खत्म की गई थी। पिछले साल मई में राजस्थान के राज्यसभा चुनावों में तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए राज्य के कांग्रेस विधायकों की 10 दिन से ज्यादा की बाड़ेबंदी हुई। इसके बाद जुलाई-अगस्त 2020 में सचिन पायलट की बगावत के बाद 34 दिन तक राजस्थान के राजनीतिक इतिहास की सबसे लंबी विधायकों की बाड़ेबंदी चली थी।
जयपुर में प्रदेश कांग्रेस के विधायकों की बाड़ाबंदी ही नहीं अन्य राज्यों के कांग्रेस नेताओं की भी बाड़बंदी होती रही है। 2005 से अब तक यहां झारखंड, उत्तराखंड, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश के विधायकों की बाड़ाबंदी हो चुकी है।