अमलेंदु भूषण खां/ नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच कोविड-19 मरीजों और महामारी से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के खतरे ने चिंता बढ़ा दी है.
बिहार में ब्लैक फंगस के नौ मरीज मिले हैं. इसमें से आठ मरीज पटना के हैं. सात मरीजों का पटना के AIIMS में इलाज चल रहा है. पिछले 24 घंटे में पटना के एम्स में तीन, वेल्लोर ईएनटी सेंटर में तीन, पारस अस्पताल में दो और रीना देवी मेमोरियल कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल में एक मरीज का इलाज चल रहा है. इसके साथ ही पटना एम्स में अबतक ब्लैक फंगस के सात मरीज, आईजीआईएमएस में दो, रूबन में दो और पारस में चार मरीज मिल चुके हैं.
म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं. इसके अलावा यह महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा भी पहुंच चुका है.
गुजरात में आए हैं ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले
म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं और अब तक 100 से ज्यादा लोग इससे पीड़ित हो चुके हैं. राज्य सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है और अस्पतालों में अलग वार्ड बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली दवा की 5,000 शीशियों की खरीद की है.
इन राज्यों में भी आए हैं ब्लैक फंगस के मामले
गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. पिछले 24 घंटों के दौरान जयपुर में ब्लैक फंगस के 14 मामले सामने आए. इनमें दो रांची, चार राजस्थान, पांच यूपी और अन्य दिल्ली-एनसीआर के मरीज जयपुर में इलाज कराने के लिए पहुंचे है. महाराष्ट्र सरकार ने मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों को ब्लैक फंगस के उपचार केंद्र के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया है. ठाणे में बुधवार को ब्लैक फंगस के चलते दो मरीजों की मौत हो गई.
मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से 2 की मौत हो चुकी है.तेलंगाना में म्यूकॉरमाइकोसिस के 60 के करीब मामले मिले हैं. बेंगलुरु के ट्रस्ट वेल हॉस्पिटल ने बताया कि पिछले दो हफ्तों से यहां पर ब्लैक फंगस के 38 मामले आए हैं.
UP में एक दिन में तीन की मौत
लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है
Black Fungal Infection in UP कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने या फिर होम आइसोलेशन में ही उपचार के बाद ठीक होने पर भी राहत नहीं है. अब इनमें से बड़ी संख्या के लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है.
उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को तीन लोगों की मौत हो गई जबकि निजी अस्पतालों में भर्ती एक दर्जन से अधिक लोगों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है. मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया.
ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हेंं डायबिटीज यानी मधुमेह है। ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है। इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं। शुक्रवार को मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। दिनों प्रदेश के निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई गई है।
जानलेवा बीमारी ब्लैक फंगस का खतरा अब गौतम बुद्ध नगर पर भी मंडराने लगा है. यहां के कुछ निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज उपचार के लिए भर्ती हुए हैं. गौतमबुद्ध नगर में मरीजों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) के मामले बढ़ रहे हैं. नोएडा के कैलाश अस्पताल में भी इस बीमारी से पीड़ित एक मरीज को भर्ती कराया गया है.
नोएडा में बढ़ा ब्लैक फंगस का खतरा
कैलाश अस्पताल के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि नोएडा के बरौला गांव निवासी मांगेराम शर्मा कोरोना से ठीक हो गए लेकिन बाद में उनकी आंखों की रोशनी कम हो गई. उन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज भेजा गया था. वहां मरीज की हालत गंभीर होने पर उन्हें नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया.
कैलाश अस्पताल के पीआरओ आर सी जोशी के मुताबिक नोएडा के बरौला गांव के मांगेराम शर्मा को 15 दिन पहले कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था. करीब चार दिन बाद उनकी आंखों की रोशनी कम होने लगी. मंगे राम को पहले सेक्टर 39 के सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां हालत खराब होने पर उन्हें मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया. यहां पर भी उन्हें फायदा नहीं हुआ और आंखों की रोशनी कम होने लगी. ऐसे में उन्हें मेरठ से ग्रेटर नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि अभी मांगेराम शर्मा की हालत बेहद गंभीर है.
ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हेंं डायबिटीज यानी मधुमेह है. ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है. इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं। शुक्रवार को मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया. दिनों प्रदेश के निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई गई है.
महाराष्ट्र में पिछले साल कोविड-19 फैलने के बाद से अब तक दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) से 52 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 8 मरीजों के एक आंख की दृष्टि गायब हो गई है, जिससे उन्हें दिखाई देना बंद हो गया है. सूबे में तेजी से फैल रहे इस रोग से राज्य स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार ब्लैक फंगस से मृत लोगों की सूची बनाई है. अधिकारी ने कहा कि सभी 52 मरीजों की मौत देश में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद हुई. महाराष्ट्र में पिछले साल 2020 में ब्लैंक फंगस से बहुत कम लोगों की मौत हुई थी. लेकिन इस साल ज्यादा मौतें हुईं.
महाराष्ट्र सरकार ने यह भी माना है कि ब्लैक फंगस पीड़ित आठ मरीजों को एक आंख से दिखाई देना बंद हो गया है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा था कि राज्य में ब्लैक फंगस के करीब 2000 मामले हैं. राज्य ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए एक लाख एम्फोटेरिसिन-बी फंगस रोधी इंजेक्शन खरीदने के लिए निविदा निकाली जाएगी.
म्यूकरमायकोसिस (Mucormycosis) क्या है?
म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस या काली फफूंद) एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, अब कोविड-19 के कई मरीजों में फंगस इंफेक्शन की शिकायत देखी गई है. इस फंगस इंफेक्शन को ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकरमाइकोसिस कहते हैं. ये फंगस (फफूंद) अक्सर गीले सरफेस पर ही होती है.
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस की पहचान इसके लक्षणों (Black Fungus Symptoms) से की जा सकती है. इसमें नाक बंद हो जाना, नाक व आंख के आस-पास दर्द व लाल होना, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टियां, मानसिक रूप से अस्वस्थ होना और कंफ्यूजन की स्थिति शामिल हैं. यह कोरोना वायरस के उन मरीजों पर सबसे ज्यादा अटैक कर रहा है, जिनको शुगर की बीमारी है. यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है.
कोरोना मरीज इन बातों का रखें ख्याल
आईसीएमआर (ICMR) के अनुसार, कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोगों को हाइपरग्लाइसिमिया पर नियंत्रण करना जरूरी है. इसके अलावा डायबिटिक मरीजों को ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करते रहना चाहिए. स्टेरॉयड लेते वक्त सही समय, सही डोज और अवधि का ध्यान रखें. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का इस्तेमाल करें. अगर मरीज एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें भी सावधानी बरतने की जरूरत है.
मरीज भूल कर भी ना करें ये काम
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बताया है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) के किसी भी लक्षण को हल्के में ना लें. कोविड के इलाज के बाद नाक बंद होने को बैक्टीरियल साइनसिटिस नहीं मानें और लक्षण के नजर आने पर तुरंत जरूरी जांच कराएं. म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का इलाज अपने आप करने की कोशिश ना करें और ना ही इसमे समय बर्बाद करें.
कोरोना मरीजों बरतनी चाहिए ये सावधानियां
कोरोना से जंग के बीच में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) की बीमारी काफी तेजी से फैलती दिख रही है. लोग अब कोरोना को तो हरा पा रहे हैं, लेकिन उसके बाद इस खतरनाक बीमारी का शिकार हो जाते हैं. देश के कई राज्यों में इस समय ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिल रहे हैं. अब उत्तर प्रदेश में भी स्थिति चिंताजनक दिखाई पड़ रही है. यहां पर भी ब्लैक फंगस से पीड़ित कई मरीज देखने को मिल रहे हैं.
रेमेडिसिविर के बाद अब ब्लैक फंगस का इंजेक्शन बाजार से गायब, कालाबाजारी संभव
जिस तरह से रेमेडिसिविर के लिए बीमार व्यक्ति के परिजनों को भटकना पड़ रहा था उसी तरह अब ब्लैक फंगस बीमारी के परिवार भटक रहे हैं. ब्लैक फंगस के मरीज को लगने वाला इंजेक्शन जैसे Liposomal amphotericine B बाजार में नहीं मिल रहा है. बीमार व्यक्ति के परिवार को इधर उधर कहीं भी किसी भी बड़े मेडिकल स्टोर पर ये इंजेक्शन नहीं मिल रहा. देश के लगभग सभी बड़े शहरों में इस इंजेक्शन की भारी कमी देखने को मिल रही है.
इस इंजेक्शन का प्रोडक्शन करने वाले लैब की माने तो अभी तक ब्लैक फंगस जैसी बीमारी के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की डिमांड ज्यादा नहीं थी. इसलिए मैन्युफैक्चरिंग कम की जा रही थी लेकिन अचानक इसकी डिमांड इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि बाजार से यह इंजेक्शन गायब हो रहा है. प्रोडक्शन भी कम हो रहा है.
दवाओं की हो रही है कालाबाजारी
सिपला कंपनी के लिए रेमेडिसिविर जैसी दवा बनाने वाली Kamla life sciences लैब की माने तो ब्लैक फंगस के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का कुछ प्रोडक्शन उन्होंने किया था. लेकिन रॉ मैटेरियल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से इसका प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा. बाजार में इसकी डिमांड बढ़ने के साथ भारी कमी देखने को मिल रही है.
जानकारों की माने तो, रेमेडिसिविर दवा की कालाबाजारी जिस तरह से शुरू हुई थी अब Liposomal amphotericine इंजेक्शन की भी पूरे देश में कालाबाजारी हो सकती है. हम आपको बता दें कि ये दवा अभी तक बाजार में 5 से 8 हजार में अलग-अलग कंपनियों की मिल रही थी, हालांकि ब्लैक फंगस के आने के बाद अब बाजार से ये इंजेक्शन गायब है.