जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े को लेकर केंद्र की मोदी सरकार व कांग्रेस पार्टी के बीच ज॔ग छिड़गई है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि सरकार मौत के आंकड़े को छिपा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिद॔बरम ने संवाददाताओं से कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल दो गुना से ज्यादा मौतें हुई है । जबकि गुजरात के गृहराज्यमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा का कहना है कि सभी मौतें कोराना से नहीं हुई हैं।
चिदंबरम ने कहा कि इस साल (2021 में) 1 मार्च से 10 मई के बीच गुजरात में लगभग 1,23,000 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए, जबकि पिछले साल यानी 2020 में इसी अवधि में 58,000 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। लगभग 65,000 मृत्यु प्रमाणपत्रों की वृद्धि चौंकाने वाली है। यह बढ़ोत्तरी मौतों की संख्या में होने वाली स्वाभाविक वार्षिक वृद्धि नहीं हो सकती। ऐसा केवल महामारी या फिर किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के चलते हो सकता है।
उन्होंने कहा कि 33 जिलों से आंकड़े एकत्रित किए हैं। मृत्यु प्रमाणपत्रों की संख्या जहां 2020 में 58,068 थे जो 2021 में बढकर 1,23,873 पर पहुंच गई है। जबकि1 मार्च, 2021 से 10 मई, 2021 की अवधि में गुजरात सरकार ने आधिकारिक रूप से कोविड से होने वाली केवल 4,218 मौतों की बात स्वीकार की है।
मृत्यु प्रमाणपत्रों (65,805) की संख्या और आधिकारिक रूप से जारी कोविड से होने वाली मौतों (4,218) के बीच के इस भारी अंतर का स्पष्टीकरण साफ शब्दों में दिए जाने की जरूरत है। यह मौतों में होने वाली ‘स्वाभाविक वार्षिक वृद्धि’ या ‘अन्य कारणों से होने वाली मौतें’ नहीं हैं। उन्हहोंने संदेह जताते हुए कहा कि मौतों में होने वाली यह अधिकांश वृद्धि कोविड के चलते हुई है और राज्य सरकार कोविड से होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या को दबा रही है।
संदेह की पुष्टि इस तथ्य से हो जाती है कि गंगा नदी में सैकड़ों अज्ञात शव बहते हुए पाए गए और साथ ही लगभग 2000 अज्ञात शव गंगा नदी के किनारे रेत में दबे हुए भी मिले।
कांग्पूरेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने शक जताते हुए कहा कि भारत सरकार कुछ राज्य सरकारों के साथ मिलकर नए संक्रमणों और कोविड से होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या को दबा रही है। यह देश के लिए शर्म और राष्ट्रीय त्रासदी के साथ एक गंभीर अपराध भी है।
कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुए गुजरात के गृहराज्यमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि राज्य सरकार मृत्यु के आंकड़े नहीं छुपा रही है। डेथ सर्टिफिकेट को आधार बनाकर कुल मृत्यु की जो संख्या बताई गई है वह सही नहीं है। साथ ही, इसकी तुलना कोविड-19 से हुए मौतों के साथ किया जा रहा है जो सही नहीं है।
उनका कहना है कि कई बार अलग-अलग मामलों में मृत्यु प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है, इस परिस्थिति में कभी-कभी एक से अधिक बार मृत्यु का रजिस्ट्रेशन हुआ हो, ऐसी संभावना है। इसकी वजह से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र और मौतों की वास्तविक संख्या में अंतर हो सकता है।
इतना ही नहीं कई बार शोक में डूबा परिवार मृत्यु होने के समय ही रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाता, बाद में करवाता है। मृत्यु का समय, उसका रजिस्ट्रेशन और उसका प्रमाणपत्र जारी होना, ये तीनों अलग-अलग बातें हैं। इन तीनों को एकसाथ मिलाकर देखना या रिपोर्ट तैयार करना आधारधीन है।
जाडेजा ने कहा कि कई बार पोस्ट कोविड रिकवरी के मामलों में भी मृत्यु होती है, उन्हें कोविड से होने वाली मौत के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए।