जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। कोरोना (कोविड-19) महामारी के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने एक अनूठी पहल की है। जिसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों को संस्कृत भाषा को फैलाने को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें संस्कृत भाषा की महत्ता को लेकर काफी ज्ञानवर्धन बातें की गई है। इस मौके पर अतिथि के तौर पर बोलते हुए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति रमेश कुमार पांडे का कहना था कि संस्कृत की महत्ता सदियों से थी और आगे भी रहेगी। पांडे ने कहा कि वेद और पुरातन ग्रंथ के अध्ययन की परिकल्पना बगैर संस्कृत भाषा के बिना संभव नही है। इसलिए आवश्यक है कि कार्यक्रम में भाग लेनेवाले लोग संस्कृत को आमभाषा बनाने में अभी से जुट जाएं। इस मौके पर वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो. इंदू विरेंद्र,डा.श्याम सुंदर शर्मा,घनंजय मणि त्रिपाठी और प्रो. गिरिशचंद्र पंत ने अपने विचार व्यक्त किए।
संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. जयप्रकाश ने बताया कि संस्कृत भाषा को आमजनों तक पहुंचाने कि लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वाधान में एक 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें शिक्षक, छात्र, अभिभावक समेत अन्य इच्छुक व्यक्तियों को जोड़कर एक व्यापक संदेश देने का काम किया जाएगा। ताकि आमजन तक संस्कृत की व्यापकता और महत्ता और मजबूती के साथ बनी रहे।