जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में बृहस्पतिवार को एक साल की सजा सुनाई। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने सिद्धू को दी गई सजा के मुद्दे पर पीड़ित परिवार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को मामले में 65 वर्षीय व्यक्ति को जानबूझकर चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। सजा सुनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट में कहा, ‘हम कानून का सम्मान करेंगे।’
जानकारी के मुताबिक ये घटना 27 दिसंबर 1988 के शाम की है। उस दौरान सिद्धू क्रिकेटर हुआ करते थे और वो अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में गए थे। वहां पर पार्किंग में उनकी एक 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। इस दौरान सिद्धू ने उन्हें घुटने से मारकर गिरा दिया। आनन-फानन में उनको अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। घटना के बाद पंजाब पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया। 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को राहत देते हुए केस खारिज कर दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा, वहां 2006 में फैसला आया। जिसमें सिद्धू और उनके दोस्त को 3-3 साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। साथ ही 2018 में उन्हें सेक्शन 323 के तहत दोषी माना, लेकिन गैर इरादतन हत्या वाला आरोप हटा दिया गया। इस वजह से सिद्धू जुर्माना देखकर छूट गए थे।
इस फैसले के बाद फिर से मृतक के परिजनों ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। जिस पर सितंबर 2018 में कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया। इसके बाद मार्च 2022 में इस केस में फैसला सुरक्षित रखा गया था, जो गुरुवार को सुनाया गया।