जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दिल्ली नगर निगम (एमसीडी चुनाव) में 15 साल बाद भाजपा को सत्ता से बेदखल करते हुए आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीत लिया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने दिल्ली की 250 सदस्यीय नगर निकाय की 132 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं जिस भाजपा का एमसीडी पर 15 साल से कब्जा था उसने 103 सीटें जीती हैं और कांग्रेस ने 9 वार्डों से जीत हासिल की है। इस चुनाव में एग्जिट पोल के सारी भविष्यवाणियां झूठी साबित हुई हैं। आइए जानते हैं कि इस बार ऐसा क्या हुआ जो एमसीडी चुनाव में भाजपा की हार की क्या वजह बनीं ?
आप की लहर में भी जीती थी भाजपा तो इस बार क्यों हारी ?
पहले बता दें भाजपा ने पिछला एमसीडी चुनाव 2017 में 272 में से 181 सीटों के साथ जीता था वहीं आप 48 के साथ दूसरे और कांग्रेस 30 के साथ तीसरे स्थान पर थी। 2022 में आप ने भाजपा को सत्ता से एमसीडी की सत्ता से बेदखल कर अपना कब्जा जमा लिया है। भाजपा जिसने पिछले 24 वर्षों में दिल्ली राज्य में सरकार नहीं बनाई है, लेकिन एमसीडी पर उसका नियंत्रण कांग्रेस और आप सरकारों के माध्यम से मजबूत रहा है। भाजपा तब भी जीती थी जब आप ने 2015 के विधानसभा चुनावों में 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटें जीत हासिल की थी इसके बाद दो साल बाद जब एमसीडी का चुनाव हुआ तब भी भाजपा ने जीत हासिल की थी
एमसीडी जिस पर 15 साल से भाजपा का कब्जा था आम आदमी पार्टी अपने चुनाव प्रचार में दिल्लीम में भाजपा के कथित कुशासन की कमियां गिनाती रही। आप प्रमुख केजरीवाल ने खुलकर जनता के बीच जाकर कहा 15 सालों से आपने भाजपा के कार्यकाल को देखा एक बार आम आदमी पार्टी को अवसर दें। भाजपा ने जमकर प्रचार किया लेकिन वो लोगों को पिछले 15 सालों में किए गए अच्छेम कामों को गिना पाने में नाकामयाब रही। विपक्षी पार्टी के अरोपों का काउंटर करने में नाकामयाब रही।
पीएम मोदी की झुग्गी पुनर्वसन योजना भी नहीं रंग लाई
भाजपा पूरी तरह से दिल्लीं में लोकल लेबल पर असफल साबित हुई। ‘यथास्थान झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास परियोजना’ के तहत दिल्ली के कालकाजी में 3024 नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन किया लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ झुग्गी पुनर्वसन फ्लैटों की चाबियां सौंपने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को भी तैनात किया। स्थानीय नेता को इससे दूर रखा गया, इसलिए ये योजना भी भाजपा के वोट में तब्दील नहीं हो सकी।
भाजपा कूड़े के निस्तातरण में रही फेल
AAP पिछले साल से ही एमसीडी चुनाव की तैयारी करना शुरू कर दी थी। वो लगातार दिल्ली शहर में कूड़े को निस्ताररण और कूड़े के ढ़ेर को मुद्दा बनाए रखी। भाजपा के लिए कूड़े का निस्तासरण बड़ी समस्या बना रहा। केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल के नगरसेवक” का नारा भाजपा पर भारी पड़ा। आप ने दिल्ली में कचरे के पहाड़ों को जमकर मुद्दा बनाया। आप ने जो कूड़े का मुद्दा उठाया उस पर भी जवाब देने में भाजपा असफल रही।
भाजपा आप के नेताओं पर निशाना साधती रही, केजरीवाल कर गए खेल
भाजपा ने आवास के वादे किए और आप के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कांग्रेस ने इनका इस्तेमाल आप पर निशाना साधने के लिए किया। लेकिन केजरीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उनका “शानदार” (गौरवशाली) काम “फर्जी आरोपों” और “केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग” से पराजित नहीं होगा। भाजपा सत्येंद्र जैन और शराब नीति के मुद्दे पर आप को घेरती रही और केजरीवाल एमसीडी चुनाव के साथ गुजरात में भाजपा के गढ़ में उसे घेरने की भी तैयारी करते रहे।
केजरीवाल की एमसीडी योजना
केजरीवाल की फ्री बिजली और पानी और मोहल्लाय क्लीनिक का मजा ले रही दिल्ली की जनता को केजरीवाल ने RWAS को अपने ऑफिस को चलाने के लिए फंड उपलब्ध करवाने की बात भी की। उन्होंने कहा एमसीडी RWAS को लोगों को काम करने करने के लिए पूरी शक्ति दी जाएगी। उन्होंने अपने ऑफिस को चलाने के लिए फंड दिया RWAS को पॉवरफुल बनाने का उद्देश्यक नागरिकों को दिल्ली का मालिक बनाना है। इस योजना के तहत हर नागरिक दिल्लीग का सीएम बनाया जाएगा और इसके माध्यकम से सत्ता लोगों को चलाने के लिए दी जाएगी।
कांग्रेस के वोट आप में खिसके
कमजोर कांग्रेस भी आप की बड़ी जीत का कारण बनी। ये त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच में सीमित हो गया। पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर महज 11.67 फीसदी ही रहा वहीं आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 44.21 रहा। जिससे साफ जारिह हो रहा है कि कांग्रेस के वोट आप को गए।