जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । नए संसद भवन के उद्धाघटन पर कांग्रेस समेत 19 दलों एकजुट हो गए हैं और समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान इसलिए किया है क्योंकि राष्ट्रपति के बजाय पीएम मोदी इसका उद्घाटन कर रहे हैं। दिल्ली में बने नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह 28 मई को होने वाला है।
नई चार मंजिला संसद में लोकसभा के लिए 888 सीटें और राज्यसभा के लिए 384 सीट्स हैं। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। पीएम मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए इसे मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस के साथ 19 विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार करने का किया है ऐलान जिसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में उन्नीस विपक्षी दलों ने बुधवार को 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने कहा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न करवा कर उन्हें पूरी तरह दरकिनार करने का आरोप लगाया है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो गया है कि क्या द्रौपदी मुर्मू नए संसद भवन का उद्घाटन ना करवाना क्या नियम और संविधान के विरुद्ध है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई ट्वीट किया और लिखा कि आरएसएसऔर भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति के कार्यालय को प्रतीकवाद तक सीमित कर दिया है। उन्होंनें ये भी कहा कि चुनावी लाभ उठाने के लिए दलित और आदिवासी को राष्ट्रपति बनाया गया है। खड़गे से पहले राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने ये बात कही थी। कांग्रेस ने संविधान की भावना का इसे बताया है उलंघन कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों का कहना है कि राष्ट्रपति को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुद इसका उद्घाटन करने का निर्णय उच्च कार्यालय का अपमान करता है और संविधान के पत्र और भावना का उल्लंघन करता है। पार्टियों ने कहा कि यह अस्वीकार्य था। विपक्ष ने बताया है इसे लोकतंत्र पर हमला विपक्षी पार्टियों ने कहा कि नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो समान प्रतिक्रिया की मांग करता है। कांग्रेस ने कहा हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसकी हमारी अस्वीकृति के बावजूद, जबकि हम अपने मतभेदों को दूर करने के लिए तैयार थे।