जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। 28 मई को होने वाले समारोह का जहां कई राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया है। वहीं, कईयों ने शामिल होने की पुष्टि की है। समारोह में शामिल होने वाले राजनीतिक दल तेलुगु देशम पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी है। इन पार्टियों ने बुधवार को एलान किया है कि वह उद्घाटन के समय उपस्थित रहेंगे।
गौरतलब है, नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर सवाल उठ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि भवन का उद्घाटन द्रौपदी मुर्मू के हाथों न कराकर पीएम मोदी से कराना राष्ट्रपति का अपमान है। इसलिए ही एक के बाद एक राजनीतिक दल समारोह का बहिष्कार करते जा रहे हैं। लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने साफ कर दिया है कि वह इस बड़े अवसर का हिस्सा बनेंगे।
बता दें, तेलुगु देशम पार्टी यानी टीडीपी 28 मई को दिल्ली में होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होगी। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बात की पुष्टि की है।
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने भी बुधवार को घोषणा की कि वह इस समारोह में शामिल होगा। अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं। नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है। इसलिए हमने फैसला किया है कि हमारा दल उद्घाटन समारोह में शामिल होगा।
इस बीच, युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद विजयसाई रेड्डी ने एलान किया है कि उनकी पार्टी नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होगी।
आखिर क्यों नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर हो रहा विरोध
दरअसल, 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए। मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। इस बीच सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उद्घाटन के अवसर पर बधाई संदेश जारी कर सकते हैं।