जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सियासी घमासान मचा हुआ है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी विवाद फैलाने वाले मंत्री केशव प्रसाद मौर्या को जल्द ही मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से बीजेपी में अंदरूनी कलह शुरू हो गई है जो साफ दिखाई दे रही है। इसको लेकर विपक्ष मजे ले रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेताओं के इशारे पर सीएम योगी को कमजोर करने की एक सोची समझी साजिश रची जा रही है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद मंत्रिमंडल में बने हुए हैं। योगी की इस कार्रवाई से कई नेता नाराज चल रहे हैं। जितने वाले विधायक जो मंत्री पद की दौर में हैं उनका मानना है कि हारने वाले को तो मंत्री बना दिया जाता है लेकिन जीतने वालों को कोई तवज्जो नहीं दिया जाता है।
दरअसल बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में यूपी में 80 की 80 सीट जीतने का दावा किया था, लेकिन मात्र 33 सीटें ही उसके पाले में आई है। 37 सीटों के साथ सपा ने बीजेपी को दूसरे नंबर पर ढकेल दिया। हार का ठीकरा फोड़ने को लेकर यूपी बीजेपी में अंदरूनी कलह शुरू हो गई है। हाल ही में लखनऊ में सम्पन्न हुई बीजेपी कार्यसिमिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है। इसके बाद से पार्टी में खींचतान बढ़ती जा रही है।
केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद से पार्टी के कुछ नेता भी खुलकर सामने आ गए हैं और सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं। वरिष्ठ बीजेपी नेता सुनील भराला ने केशव मौर्य के बयान का समर्थन करते हुए यूपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का इस्तीफा मांग लिया था। बीजेपी विधायक रमेश मिश्रा ने यहां तक कह दिया कि मौजूदा सरकार की हालत बहुत खराब है। इस स्थिति को देखते हुए बीजेपी का 2027 में सरकार बनाना बहुत मुश्किल लग रहा है। पूर्व मंत्री मोती सिंह ने सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि थानों और तहसीलों में ऐसा भ्रष्टाचार उन्होंने अपने चार दशक से ज्यादा के राजनैतिक जीवन में नहीं देखा है। इसी क्रम में अब योगी सरकार में राज्यमंत्री सोनम किन्नर ने भी इस्तीफा दे दिया है। सोनम किन्नर ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार समेत कई आरोप लगाए हैं। सोनम किन्नर ने केशव मौर्य के बयान संगठन सरकार से बड़ा है का समर्थन भी किया है।
यह साजिश आज से नहीं चल रही है, जब से उन्होंने मुख्यमंत्री पद का पदभार संभाला है तभी से पार्टी में एक लॉबी थी जो योगी के पीछे पड़ गई थी। यह लॉबी लगातार उनके कामकाजों की आलोचना कर रही है।
सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक सोची समझी साजिश रची गई है। यह साजिश आज से नहीं चल रही है, जब से उन्होंने मुख्यमंत्री पद का पदभार संभाला है तभी से पार्टी में एक लॉबी थी जो योगी के पीछे पड़ गई थी। यह लॉबी लगातार उनके कामकाजों की आलोचना कर रही है। जब योगी सीएम बने तो केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे। तब पार्टी ने बेहतर परर्फोर्मेंस किया था। केशव को ऐसा लगता था की पार्टी की जो वापसी हुई है, वो उनके कारण हुई है। उस समय केशव खुद मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन फिर भी केंद्र सरकार व पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। ये नाराजगी तभी से चली आ रही है।
2019 में बीजेपी को भारी समर्थन मिलने के कारण केशव प्रसाद मौर्य अपनी नाराजगी दिखा नहीं पाए थे। इसी क्रम में जब 2024 में बीजेपी यूपी में बहुत अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाई है तो हार के कारण ढूंढे जा रहे हैं। बीजेपी हार का ठीकरा मोदी-शाह पर ना फोड़कर किसी दूसरे पर फोड़ना चाह रही है। यूपी की लॉबी हार का ठीकरा सीएम योगी पर फोड़ने पर लगी हुई है। इसको लेकर पार्टी में दबाव बनाया जा रहा है। जैसे सोनम चिश्ती उनका कोई जनाधार नहीं है फिर भी उनके बहाने एक दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
उपचुनाव से पहले माहौल बनाने की तैयारी
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ये सब उपचुनाव से पहले ही किया जा रहा है क्योंकि बीजेपी को डर सता रहा है। अगर बीजेपी ने उपचुनाव में अच्छा परर्फोर्मेंस किया तो संगठन को मैंने मजबूत किया कहकर जीत का श्रेय ले लिया जाएगा। वरना हार का ठीकरा फिर सीएम योगी पर फोड़ दिया जाएगा। ये सब कहीं ना कहीं केंद्र के कुछ नेताओं के इशारे पर योगी को कमजोर करने की एक साजिश चल रही है।
अगर संगठन सरकार से बड़ा है तो केशव मौर्य को संगठन में रहकर काम करना चाहिए था। वह इतने लंबे समय से सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर संगठन सरकार से बड़ा है तो केशव मौर्य को संगठन में रहकर काम करना चाहिए था। वह इतने लंबे समय से सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। सीएम योगी ने भी उस बैठक में कहा था कि हम लोग अति आत्मविश्वास से हारे हैं। अति आत्मविश्वास अबकी बार 400 पार का नारा था। ऐसा लग रहा है कि यूपी बीजेपी में दो लॉबी बन गई है। यह दोनों लॉबी एक दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज की तारीख में अधिकारी सबसे ज्यादा ताकतवर हैं। पार्टी प्रतिनिधियों की नहीं सुनी जा रही है। हालांकि बीजेपी में शुरू से रहा है कि सपा-बसपा की तरह बीजेपी में नेताओं की ज्यादा नहीं चलती है, लेकिन अब मामला ज्यादा बढ़ गया है। केशव मौर्य कह रहे हैं कि काम नहीं सुना जा रहा है। अगर ऐसा है तो वे 7 साल से सरकार में मंत्री हैं। उन्हें छोड़कर संगठन में चले जाना चाहिए था। बीजेपी की अंदरूनी कलह बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।