राजेश रापरिया
इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्रोन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत इन उद्योगों को मदद की बजटीय घोषणा की प्रबल संभावना है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ड्रोन और उसके घटकों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पीएलआई योजना एक किकस्टार्टर है। इसे सरकार की ओर से स्थायी सब्सिडी नहीं माना जाना चाहिए। उद्योगों को सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए 2024 से 2030 तक के लिए बजट में पीएलआई के तहत 44,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सकता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए 15,000 करोड़ रुपये, सेमीकंडक्टर उत्पादों के लिए 11,000 करोड़ रुपये और प्रतिभा विकास, बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी अधिग्रहण जैसी पहलों के लिए 18,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में चीनी आयात का बाहुल्य है। इसे हतोत्साहित करने के लिए इस क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम बनाने के बारे में नीतिगत फैसले लेने होंगे, अन्यथा यह मुहिम विफल हो सकती है।
घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए वर्ष 2020 में पीएलआई योजना शुरू की गयी थी, जिसका मूल उद्देश्य आयात प्रतिस्थापन और रोजगार सृजन करना है। यह योजना पहले तीन उद्योगों में जाँची-परखी गयी, फिर अन्य और 11 क्षेत्रों तक इसे बढ़ा दिया गया। इनमें मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक, फार्मास्युटिकल, दवाएँ, विशेष स्टील, दूरसंचार और नेट-बैंकिंग उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी), खाद्य उत्पाद, कपड़ा उत्पादन, सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी और ड्रोन एवं ड्रोन घटक शामिल हैं। वर्ष 2020-21 में इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का संकल्प मोदी सरकार ने जताया था। इस योजना से 5 वर्षों में 60 लाख नये रोजगार और 30 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त उत्पादन की उम्मीद सरकार को है।