जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस फूंक फूंक कर कदम रख रही है। चुनाव से पहले की स्थितियां ऐसी बनी कि कांग्रेस को कहना पड़ा की किसी भी सांसद को सियासी मैदान में नहीं उतारा जाएगा। इसके पीछे भी एक बड़ा सियासी संदेश छिपा हुआ था। इसके बाद भी कांग्रेस हरियाणा में चुनाव जीतने की दशा में या उससे पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खुली और दबी जुबान में कुछ भी कहने से बच रही है। वही हरियाणा में कांग्रेस का टिकट बंटवारे को लेकर जिस तरीके से पार्टी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ओपन हैंड दिया, उससे सियासी गलियारों में कई तरीके के कयास लगाए लगाए जा रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टिकट बंटवारे में फ्री हैंड दिया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों का दावा है कि यहां की 90 सीटों में से 78 सीटों पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद से प्रत्याशी उतारे गए हैं। इससे पहले भी लोकसभा के चुनावों में भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सलाह पर जिताऊ प्रत्याशियों को सियासी मैदान में उतारा गया था। जिसका नतीजा पार्टी के हिस्से में फायदे के तौर पर सामने आया था। कांग्रेस पार्टी से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं ने दबी जुबान से इस बात को मना है कि इसी आधार पर विधानसभा के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सलाह को प्राथमिकता दी गई। यही वजह है कि पार्टी के अपने तमाम सर्वे और वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री की सलाह पर सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं।
राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा बताते हैं कि जिस तरीके की हरियाणा में सियासी चर्चाएं हो रही है उससे तो स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बड़ा दांव लगाया है। यही वजह है कि उनकी सिफारिश पर उनकी पसंद के 78 प्रत्याशियों को टिकट मिला है। शर्मा कहते हैं कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यही सबसे बड़ी गलती की थी। सियासी गलियारों में खुले तौर पर यह बात कही जा रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश और उनकी टिकट आवंटन में प्रत्याशियों के चयन की राय को दरकिनार किया गया था। इसका नतीजा पार्टी को बड़ी हार के तौर पर देखना पड़ा था। उनका कहना है की अब एक बार जब फिर विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं तो पार्टी ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सलाह को प्राथमिकता देकर उनकी सहमति के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। हालांकि उनका कहना है कि यह प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे या हारेंगे यह तो चुनावी परिणाम बताएंगे। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टिकट बंटवारे में मिले खुले हाथ से एक संदेश पार्टी के भीतर भी गया है।
दरअसल, हरियाणा कांग्रेस पार्टी की खेमेबंदी किसी से छिपी नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा कहते हैं कि इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के खेमे के समर्थक लगातार अपने नेताओं को आगे करने मांग भी करते रहे हैं और आगे भी आते रहे हैं। क्योंकि लोकसभा के चुनाव में जो परिणाम आए और उसके बाद जातिगत समीकरणों के आधार पर पार्टी ने जो सियासी रोड मैप बिछाया उसमें कांग्रेस कोई चूक नहीं होने देना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तबज्जो देकर जातिगत समीकरणों के लिहाज से बड़ा संदेश दिया है। जबकि कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की सिफारिश पर भी दिए गए टिकटों से पार्टी ने राजनीतिक समीकरण तो साधे हैं। लेकिन हुड्डा को मिला अपर हैंड राजनीतिक गलियारों में एक बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी ने जो भी प्रत्याशी सियासी मैदान में उतारे हैं वह पूरी प्रक्रिया के बाद और जिताऊ प्रत्याशी के तौर पर ही उतारे गए हैं। कांग्रेस की केंद्रीय कमेटी और वरिष्ठ नेताओं की सहमति के साथ हरियाणा में जीत कर सरकार बनाने वाले जिताऊ प्रत्याशियों को ही चुनाव लड़ने के लिए मैदान में भेजा गया है। कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि टिकट बंटवारे में किसी तरीके का कोई कोटा नहीं चलेगा। चुनाव जीतने के लिए वही प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएंगे जो जिताऊ होंगे। पार्टी ने इसका पूरा ध्यान रखकर ही प्रत्याशियों का चयन किया है।