राजेश रपरिया
नई दिल्ली । शेयर बाजार में ऐतिहासिक तेजी आई हुई है। शेयर सूचकांक नए-नए आयाम बना रहा है। पर इससे भी बड़ा भूचाल आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या नए आईपीओ बाजार में छाया हुआ है जो नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। जो हैरान भी करते हैं और दहशत भी पदा करते हैं। यह डर छोटे और मध्यम एसएमई के बेहिसाब आ रहे आईपीओ और उन्हें मिल रहे अभिदान सब्सक्रिप्शन से ज्यादा है। इसे भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड सेबी भी भौचक है।
देश के अग्रणीय समूह बजाज फाइनेंस की कंपनी बजाज फाइनेंस हाउसिंग फाइनेंस के 6560 करोड़ रुपए के आए आईपीओ ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। इस निर्गम को 67 गुना ज्यादा अभिदान प्राप्त हुआ। कुल मिलाकर बोलियो के लिए 89 लाख आवेदन आए और कुल 324 000 करोड रुपए की बोलियां लगी। इस निगम ने पिछले साल नवंबर में आए टाटा टेक्नोलॉजी के कीर्तीमानो को तोड़ दिया। टाटा के 3042.51 करोड़ रुपए के लिए रिकॉर्ड 73.50 लाख आवेदन आए थे जिसमें 2.11 लाख करोड़ रुपए की बोलियां लगाई थीं ।
बजाज हाउसिंग को मिले रिकॉर्ड आवेदन और बोलियां कोई खौफ पैदा नहीं करती है बल्कि वे शेयर बाजार के सर्वाधिक सूचकांकों के स्तर के साथ ताल करती हुई दिखाई देती है। शेयर बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि बजाज हाउसिंग की यह कामयाबी 5.5 लाख करोड़ डॉलर वाले देसी इक्विटी बाजार की मजबूती और गहराई को दर्शाता है और बड़े पैमाने पर होने वाली शेयर बाजार को परिचालित करने की उसकी क्षमता को दर्शाता है। लेकिन लघु और मध्यम उद्यम एमएसई के निर्गमों को मिल रहे बेहिसाब आवेदन और बोलियां न केवल चौंकाने वाली है बल्कि डरावनी ज्यादा है। हाल ही में दिल्ली के एक बाइक डीलर रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के 12 करोड़ रुपए के निर्गम को 48 00 हजार करोड़ रुपए की बोलियां मिली यानी 400 गुना अधिक । दिल्ली के दक्षिण पूर्वी द्वारका में इस डीलर के दो शोरूम है और इस कंपनी में महज 8 कर्मचारी हैं। यह कंपनी विदेशी सुपर बाइक ही बेजती है। ऐसे ही 5.1 और 6.6 करोड रुपए के दो कंपनियों को लगभग दो और 1000 गुना बोलियां मिली।
एसएमई शेयरों का पूंजीकरण लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का है। स्टॉक एक्सचेंज में एसएमई प्लेटफॉर्म 2012 में शुरू हुई। सेबी के अनुसार तब से 14 हजार करोड़ रुपए निर्गमों के माध्यम से एसएमई उठा चुकी है जिसमें से 6000 करोड़ केवल वित्तीय वर्ष 24 में इन कंपनिया ने उगाहे। जानकारों का कहना की शेयर बाजार में युवा निवेशको नए निर्गमों को लेकर उन्माद आया हुआ है। कुछ ऐपों की वजह से भी नए निर्गमों के लिए आवेदन करना बेहद आसान हो गया है। लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस मत से सहमत नहीं हैं। इन विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश निवेशक अल्प अवधि में ही ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच से प्रेरित होते हैं। इनमें युवा निवेशक इस लालच में फंसे रहते हैं। ऐसे निवेशको के
ऐसे निवेशकों को कंपनी के निर्गम को जांच परखने की ना तो सामर्थ्य होती है न हीं उनकी कोई विशेष इच्छा। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई कि नई कंपनियों के निर्गमों के सूचीबद्ध होने के बाद 67% निवेशक उस निर्गम में लाभ कमाने के बाद एक साल के दरमियान में बेचकर बाहर हो जाते हें। केवल 23 फीसदी निवेशक ऐसे हैं जो निर्गम कीमत से बाजार भाव कम होने पर ही उसे बेचकर किनारा कर लेते हैं। ऐसे निवेशक दीर्घकालिक नजरिए से निवेश नहीं करते हैं।
लघु और और मध्यम उद्यमियों के बेहिसाब बढ़ते निर्गमों को देख कर सेबी ने सख्त लहजे में निवेशकों को सतर्क किया है कि इस क्षेत्र में बेइमान प्रमोटरों की संख्या बढ़ती जा रही हैष ऐसे प्रमोटर अपनी कंपनियों को सूचीबद्ध करने के बाद अपने कारोबार की गुलाबी तस्वीर पेश करते हैं। निवेशको को लुभाने के लिए शेयर की कीमत बढ़ाने और उन्हें बेचकर बाहर निकलने के लिए ये कंपनियां अवैध तरीकों का सहारा लेती है। सेबी ने निवेशकों को आगाह किया है कि वे असत्यापित, सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्स और अफवाहों के आधार पर निवेश न करें।
लेकिन लोग इस संदर्भ में सेबी के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। इन लोगों का मानना है कि वह संदिग्ध कंपनियों के निर्गम के आवेदनों को स्वीकार क्यों करता है । सेबी के कामकाज पर एक सुधी निवेशक की टिप्पणी मौजूदा महौल की सही तस्वीर पेश करती है। जैसे गुटखा कंपनियां के विज्ञापन में कहा जाता है की पान मसाला, गुटखा ना खाए। यह सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन कंपनी इनकी बिक्री कभी बंद नहीं करती है। इसी तरह से सेबी भी लघु और मध्यम कंपनियों के बेहिसाब आ रहे आईपीओ को अनुमति देकर उन्हें आम निवेश को लूटने की खुली छूट दे रहा है।