जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करने की योजना बना रहा है। मोदी सरकार ने एक रणनीति के तहत एक बड़ी जिम्मेदारी एनडीए के साथ विपक्षी सांसदों को सौंपी है। ये सभी सांसद अलग-अलग देशों में जाकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करेंगे। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर अब राजनीति तेज हो गई है।
ऑल पार्टी डेलिगेशन में शामिल अन्य नेताओं में बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, जदयू के संजय कुमार झा, बीजेपी के बैजयंत पांडा, द्रमुक की कनिमोझी करुणानिधि, राकांपा (सपा) नेता सुप्रिया सुले और शिवसेना नेता श्रीकांत एकनाथ शिंदे शामिल हैं।
थरूर ने भी सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा, ‘जब राष्ट्रीय हित शामिल होगा और मेरी सेवाओं की आवश्यकता होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।’ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेगा।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर खेल खेलने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने ये आरोप ऐसे समय पर लगाया है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता के भारत के संदेश को पहुंचाने के लिए प्रमुख साझेदार देशों में जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में शशि थरूर को नामित किया गया। बता दें कि कांग्रेस ने शशि थरूर का नाम कांग्रेस द्वारा नामित चार नेताओं में शामिल नहीं था।
शनिवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शशि थरूर पर ही निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, जमीन-आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद से भी संपर्क किया था और उन्होंने उनसे कहा कि पार्टी को फैसला करना है।
कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने उससे पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम प्रस्तुत करने को कहा था और उसने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग को नामित किया। जानकारी दें कि इस लिस्ट में शशि थरूर का नाम नहीं था, बावजूद इसके सरकार ने शशि थरूर का नाम सुझाया है।
पत्रकारो से बात करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आप पार्टी से सलाह किए बिना सांसदों के नाम (प्रतिनिधिमंडल में) शामिल नहीं कर सकते। रमेश ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी व्यक्तिगत सांसदों को आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में भेजा जाता है, तो सांसदों को पार्टी से अनुमित जरूर लेनी चाहिए।
जयराम रमेश ने सरकार पर नारद मुनि की राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से नाम पूछना बेईमानी और सरासर शरारतपूर्ण है, जबकि पूरी संभावना है कि उन्होंने उससे पहले ही नाम तय कर लिए थे। कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि प्रतिनिधिमंडल की पूरी कवायद ध्यान भटकाने वाली और दिखावटी कवायद है। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस सरकार को भेजे गए चार नामों पर पुनर्विचार नहीं करेगी।