अमलेंदु भूषण खां
देश की सबसे बड़ी आबादी को अपने भीतर समेटे उत्तर प्रदेश ने पिछले करीब सात वर्षों में जमीन, संसाधन, कुशल श्रमशक्ति और कानून व्यवस्था का भरपूर इस्तेमाल कर निवेश की बाढ़ ला दी है। किसी समय बीमारू राज्यों में शुमार होने वाला उत्तर प्रदेश कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंचने के लिए होड़ कर रहा है और देश-विदेश की नामी कंपनियां यहां निवेश करने के लिए कतार लगाए खड़ी हैं।
इतने कम समय में प्रदेश की तस्वीर बदल देने का सबसे बड़ा श्रेय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी नीतियों को जाता है। प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की उनकी कोशिशों ने इसे निवेश, उद्यम और रोजगार का गढ़ बना दिया है। योगी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के 40 उपक्रमों (पीएसई) को सशक्त करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रही है। पीएसई को पारदर्शी और जन-हितैषी बनाने के लिए 4-सूत्रीय रणनीति अपनाई गई है-सुशासन को बढ़ावा, अधिकारियों का क्षमता निर्माण, तकनीक का समुचित उपयोग और मजबूत वित्तीय प्रबंधन।
उत्तर प्रदेश में 40 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) हैं जो राज्य सरकार के स्वामित्व में हैं। इन उपक्रमों में से अधिकांश ऊर्जा, सेवा, निर्माण, उत्पादन और वित्त जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इन PSUs को सशक्त और पुनर्जीवित करने के लिए एक चार-सूत्रीय रणनीति अपना रही है, जिसमें सुशासन को बढ़ावा देना, अधिकारियों का क्षमता निर्माण, तकनीक का उपयोग और मजबूत वित्तीय प्रबंधन शामिल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को और अधिक ताकत देने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। ऊर्जा, सेवा, निर्माण, उत्पादन और वित्त जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कार्यरत इन उपक्रमों को अधिक कुशल, पारदर्शी और जन-हितैषी बनाने के लिए सरकार ने एक प्रभावशाली चार-सूत्रीय रणनीति अपनाई है। इसमें सुशासन को बढ़ावा देना, अधिकारियों-कर्मचारियों की दक्षता में वृद्धि, तकनीक का समुचित उपयोग और मजबूत वित्तीय प्रबंधन शामिल है। इस रणनीति के माध्यम से न केवल इन संस्थाओं की कार्यप्रणाली में सुधार होगा बल्कि यह राज्य के समग्र आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगी।
ऊर्जा, सेवा, निर्माण, उत्पादन और वित्त जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कार्यरत इन उपक्रमों को अधिक कुशल, पारदर्शी और जन-हितैषी बनाने के लिए सरकार ने एक प्रभावशाली चार-सूत्रीय रणनीति अपनाई है। इसमें सुशासन को बढ़ावा देना, अधिकारियों-कर्मचारियों की दक्षता में वृद्धि, तकनीक का समुचित उपयोग और मजबूत वित्तीय प्रबंधन शामिल है।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में ऊर्जा क्षेत्र से होती है। CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021-22 में, ऊर्जा क्षेत्र के पीएसयू को बजटीय सहायता के रूप में ₹33,306.32 करोड़ प्राप्त हुए थे, जिसमें ₹10,874.05 करोड़ पूंजी के रूप में और ₹22,432.27 करोड़ अनुदान/सब्सिडी के रूप में शामिल थे।
ऊर्जा क्षेत्र उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सबसे बड़ी आय इसी क्षेत्र से होती है। उत्तर प्रदेश में अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी हैं जैसे कि सिंचाई, सड़क परिवहन, और उद्योग, लेकिन ऊर्जा क्षेत्र की तुलना में उनकी आय कम होती है।
हालांकि यूपी में 16 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7,411.34 करोड़ रुपये का हुआ घाटा। सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2021 तक यूपी के 16 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सात हजार करोड़ से अधिक का घाटा हुआ है। जिन कंपनियों को घाटा हुआ उनमें बिजली कंपनियां शामिल हैं। प्रदेश में 16 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 7,411.34 करोड़ रुपये की हानि हुई। वहीं 22 पीएसयू ने 699.72 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्य सरकार के वित्त पर पेश की गई भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार 38 पीएसयू में से मुख्य हानि वहन करने वाले पीएसयू में उप्र पावर कारपोरेशन (3158.92 करोड़ रुपये), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (1204.3 करोड़ रुपये) और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (1067.87 करोड़ रुपये) थे।
वहीं लाभ अर्जित करने वाले मुख्य पीएसयू में उप्र पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (351.89 करोड़ रुपये) और उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम (116.91 करोड़ रुपये) थे। 71 कार्यरत पीएसयू में से केवल चार ने वर्ष 2020-21 के लिए अपने वार्षिक लेखे प्रस्तुत किये थे। 44 अकार्यरत पीएसयू में से 40 के 699 लेखे बकाया थे।
यूपी का हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में यह उद्योग कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाला विकेन्द्रीयकृत कुटीर उद्योग बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में लगभग 1.91 लाख हथकरघा बुनकर एवं 80 हजार से अधिक परिवार संलग्न हैं। वहीं, 2.58 लाख पावरलूम के माध्यम से 5.50 लाख से अधिक बुनकरों को रोजगार मिल रहा है। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने इस क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है, जिससे बुनकरों और उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा। राज्य में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। पीएम मित्र योजना के अंतर्गत बनने वाले पार्क वस्त्र उद्योग को आधुनिक तकनीकों से लैस करेंगे और उत्पादन लागत को कम करके उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाएंगे। इससे उत्तर प्रदेश के कपड़ा उद्योग को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी। इससे रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी।
इसके अलावा योगी सरकार ने वस्त्र एवं परिधान उद्योग को गति देने के लिए उत्तर प्रदेश वस्त्र-गारमेंटिंग नीति-2022 लागू की है, जिसके सफल क्रियान्वयन के लिए बजट 2025-26 में 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को परिधान निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाना है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा। यह योगी सरकार के प्रदेश को टेक्सटाइल हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेंगे और पारंपरिक बुनकरों एवं नए उद्यमियों को नई उड़ान देंगे।
पावरलूम बुनकरों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने बजट में 400 करोड़ रुपये की लागत से अटल बिहारी वाजपेयी पावरलूम विद्युत फ्लैट रेट योजना को प्रस्तावित किया है। इस योजना से बुनकरों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनके उत्पादन की लागत कम होगी और उनकी आमदनी में वृद्धि होगी। इस पहल का उद्देश्य चुनौतियों का सामना कर रहे पावरलूम उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा देना और बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
योगी सरकार की पहलें हथकरघा, वस्त्र और परिधान उद्योग को एक नई ऊंचाई देने के लिए मील का पत्थर साबित होंगी। आधुनिक टेक्सटाइल पार्क, सब्सिडी वाली बिजली और नई नीतियों से प्रदेश का वस्त्र उद्योग आत्मनिर्भर बनेगा और लाखों लोगों को नए रोजगार मिलेंगे। योगी सरकार के प्रयास उत्तर प्रदेश में कपड़ा उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इन उपायों का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, उत्पादकता बढ़ाना और कपड़ा क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।