आलोक रंजन
केंद्रीय वित्त मंत्रालय चार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) का दर्जा अगले कुछ महीनों में मिनी रत्न से बढ़ाकर नवरत्न करने की योजना बना रहा है। अधिकारी ने बताया, ‘इन कंपनियों में कोचीन शिपयार्ड, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड और मॉयल लिमिटेड हैं।’
नवरत्न योजना की शुरुआत वर्ष 1997 में हुई थी। यह योजना बेहतर लाभ वाली सीपीएसई को चिह्नित कर वैश्विक स्तर की दिग्गज कंपनी बनने के लिए है। इस योजना के तहत सीपीएसई के नवरत्न के बोर्ड को पूंजीगत व्यय, संयुक्त उपक्रम/ सहायक कंपनियों में निवेश, विलय व अधिग्रहण और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में स्वायत्ता के साथ अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। इस बारे में वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया था लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
मॉयल लिमिटेड का पुराना नाम मैंगनीज ओर (इंडिया) लिमिटेड है। इस सरकारी कंपनी का मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। इसकी स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी और यह भारत में मैंगनीज अयस्क की सबसे बड़ा उत्पादक है। मैंगनीज अयस्क का इस्तेमाल मुख्य रूप से घरेलू स्टील उद्योग में होता है। इस कंपनी ने तिमाहियों में लगातार मजबूत प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन कंपनी की खनन क्षेत्र में ठोस स्थिति को दर्शाता है। एमओआईएल ने मार्च 2025 को समाप्त तिमाही में सालाना आधार पर 27 प्रतिशत वृद्धि के साथ 115.65 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। कंपनी नवंबर, 2010 में स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हुई थी।
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) की स्थापना 1884 में हुई थी और इसका कामकाज भारत सरकार ने वर्ष 1960 में अपने हाथ में ले लिया था। यह पश्चिम बंगाल स्थित कोलकाता की प्रमुख जहाज निर्माण कंपनी है। यह कंपनी भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए युद्धपोत और सहायक पोत के लिए जानी जाती है। कंपनी ने सितंबर, 2018 में अपना प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) जारी किया था। जीआरएसई ने परिचालन को मजबूत कर वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 118 प्रतिशत वृद्धि के साथ 224 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था।
कोचीन शिपयार्ड (सीएसएल) का मुख्यालय केरल को कोचीन में है और इसकी स्थापना 1972 में हुई थी। यह भारत की नामचीन पानी के जहाज बनाने और उनकी रखरखाव की सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनी है। सीएसएल कई तरह के टैंकर, बल्क कैरियर, यात्री पोत और पोतों को अपतटीय मदद मुहैया करवाती है। यह घरेलू और विदेशी उपभोक्ताओं को पोत की मरम्मत की सुविधा भी मुहैया करवाती है। कंपनी का आईपीओ अगस्त 2017 में जारी हुआ था। सीएसएल ने वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में 11 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ 287 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) की स्थापना 1967 में हुई थी और यह रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है। यह गोवा के वास्को डी गामा में रक्षा क्षेत्र का सार्वजनिक उपक्रम है। यह असूचीबद्ध सीपीएसई है। इसकी दक्षता भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए गश्ती पोत, मिसाइल पोत और अपतटीय गश्ती पोत बनाने में है।