जनजीवन ब्यूरो
रांची : झारखंड में स्थानीय नीति को लेकर एकबार फिर राजनीति गरमाने जा रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास कह रहे है कि झारखंड में हम 15 दिनों के अंदर स्थानीय नीति लागू करेंगे। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान हमने सदन में स्थानीय नीति लागू करने को लेकर जो कमिटमेंट किया था, उसे पूरा करेंगे। दूसरी ओर आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच स्थानीयता को गलत ढंग से थोपने व स्थानीय नीति निर्धारण में स्थानीय बुद्धिजीवियों व प्रबुद्ध लोगों की उपेक्षा करने की निंदा की।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में बने तीन राज्यों में से दो राज्यों में स्थानीय नीति लागू हो गई, लेकिन झारखंड में लगातार राजनीतिक अस्थिरता के कारण स्थानीयता अब तक परिभाषित नहीं हो सकी है। स्थानीय नीति तय नहीं होने के कारण नौजवानों को रोजगार के अवसर नहीं मिल सके हैं। इसके अलावा झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में काफी रिक्तियां भी हैं। इन रिक्तियों के कारण राज्य का विकास प्रभावित हुआ है।
रघुवर दास का कहना है कि वे राजनीति में चीजों को बदलना और लोगों को साथ लेकर चलना चाहते हैं। यह अलग बात है कि सबों को खुश नहीं रखा जा सकता है, लेकिन स्थानीयता पर जो भी सुझाव आए हैं, उन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार फैसला लेगी। सरकार सबका साथ और सबका विकास चाहती है। अलग राज्य गठन में राज्य के बुद्धिजीवियों का भी बड़ा हाथ है, इसलिए झारखंड के विकास के लिए आप सबों की मदद चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब स्थानीय नीति पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
दूलरी तरफ आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच के मुख्य संयोजक राजू महतो का कहना है कि वर्षो से झारखंडियों को छलने का काम किया जा रहा है। यहां के लोगों ने सदियों से दर्द व पीड़ा को झेला है। अब हमारी भावनाओं से कोई खिलवाड़ करे, यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्थानीय नीति का निर्धारण करने के लिए यहां के 1932 के खतियान को आधार बनाया जाए।
आदिवासी जन परिषद के प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सरकार की मंशा साफ नहीं है। यह सरकार कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली है। सरकार जन भावनाओं का सम्मान करते हुए उचित निर्णय नहीं लेगी तो लोग चुप नहीं बैठेंगा। वीरेंद्र कुमार महतो ने कहा कि आज यहां की सरकार हमें अपनी भाषा और संस्कृति से दरकिनार करने की कोशिश कर रही है। अब युवाओं को एक नए उलगुलान के लिए तैयार होना होगा।