जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी उन राज्यों में गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है, जहां क्षेत्रीय दलों का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला है। माना जा रहा है कि बिहार चुनाव कांग्रेस की गठबंधन राजनीति के लिए ‘लिटमस टेस्ट’ साबित होंगे। बिहार में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव है। यह चुनाव जनता परिवार के विलय की भी परीक्षा साबित होंगे।
पार्टी का मानना है कि वह राजद और जद (यू) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़कर भाजपा को रोकने में सफल रहती है, तो पश्चिम बंगाल में भी समान विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरेगी। पार्टी ने यूपी में भी गठबंधन की संभावनाओं को खारिज नहीं किया है। कांग्रेस का कहना है कि राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय किया जाएगा। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की वकालत करते रहे हैं। पर लोकसभा में हार ने कांग्रेस को गठबंधन पर नए सिरे से विचार करने पर मजबूर किया है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे पार्टी की भविष्य की रणनीति का रुख तय करेगें। राजद और जद(यू) के साथ मिलकर पार्टी बिहार में भाजपा को करारी शिकस्त देने में कामयाब रहती है, तो पश्चिम बंगाल में भी गठबंधन में चुनाव लड़ जा सकता है। पार्टी का एक तबका तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन की वकालत कर रहा है।
पार्टी की 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव पर है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इन राज्यों में कांग्रेस की भाजपा के साथ सीधी टक्कर है। यह राज्य लोकसभा चुनाव का रुख तय करेगें। पार्टी पिछली बार इन तीनों राज्यों में बुरी तरह हारी थी और इसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा।
कांग्रेस फिल्हाल उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है। पर साथ ही वह दूसरे राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर भाजपा की बढम्त रोकने की हर मुमकिन कोशिश करेगी। पार्टी का कहना है कि जिन राज्यों में कांग्रेस संगठन बहुत मजबूत नहीं है. वहां मौजूदा राजनीतिक स्थितियों में गठबंधन एक बेहतर विकल्प बन सकता है।