अमलेंदु भूषण खां
हरिद्वार । राष्ट्रगुरु रामदेव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रऋषि कहने के साथ ही देश में बहस छिड़ गई है कि कहीं रामदेव को राष्ट्रपति की कुर्सी तो नहीं चाहिए .मोदी हरिद्वार के पतंजलि रिसर्च सेंटर का उद्घाटन करने पहुंचे थे.करीब चार साल बाद पतंजलि योगपीठ आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यहां आज नई उपाधि राष्ट्रऋषि से नवाजा गया. पतंजलि योगपीठ की ओर से इस उपलक्ष्य में बाकायदा न केवल भव्य समारोह का आयोजन किया गया था बल्कि विधि विधान से मंगलाचारण और अन्य मंत्रोच्चारण के साथ सभी पारंपरिक औपचारिकताएं भी पूरी की गई.
बाबा रामदेव ने कहा कि नरेंद्र मोदी का पूरा व्यक्तित्व एक ऋषि की तरह है. वे हमेशा देश के लिए ही सोचते और करते हैं. मोदी में पूरी दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि उन्हें राष्ट्रऋषि की उपाधि से नवाजते हुए पतंजलि परिवार खुद को भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है.
रामदेव ने ट्विटर पर लिखा,”राष्ट्र के गौरव, भारत को ऋषि के रूप में भगवान का वरदान मिले, राष्ट्र ऋषि नरेंद्र मोदी जी के पतंजलि आगमन से आयुर्वेद को गौरव मिलेगा”.
पीएम मोदी के मंच पर पहुंचने पर भी रामदेव ने उन्हें एक बार फिर ‘महामानव’ और ‘राष्ट्रऋषि’ बताया. इसके बाद ट्विटर पर हैशटैग राष्ट्रऋषि ट्रेंड करने लगा. कुछ लोगों ने इसकी तारीफ़ की तो कुछ को यह हजम नहीं हुआ.
चेतन ने लिखा,”मोदी जी, आप यक़ीनन राष्ट्रऋषि की उपाधि के पात्र हैं.” वहीं, अशोक ने इस पर ऐतराज जताया. उन्होंने कहा,”भारत को इस वक्त किसी साधु की नहीं बल्कि योद्धा की जरूरत है.
एक ट्विटर यूजर को समझ में ही नहीं आया कि आखिर ‘राष्ट्रऋषि’ नाम की बला है क्या! संतोष को लगता है कि राष्ट्रऋषि की उपाधि नरेंद्र मोदी को पूरी तरह मैच करती है.
अमिताभ अरुण ने एक दिलचस्प सवाल पूछा. उन्होंने लिखा,”सवाल यह है कि क्या बाबा रामदेव ने राष्ट्रपति बनने के लिए मोदी जी को राष्ट्रऋषि कहा?”
लगे हाथ यह भी पूछ लिया गया कि अच्छे दिन कब आएंगे. वी कुमार स्वामी ने कहा,”हां में हां मिलाने का बेहतरीन उदाहरण. ‘राष्ट्रगुरु’ ‘राष्ट्रऋषि’ की तारीफ़ कर रहे हैं.”