जनजीवन ब्यूरो / बेंगलूरु । बेंगलुरू सेंट्रल जेल में अन्नाद्रमुक नेता और जयललिता की क़रीबी रहीं वीके शशिकला के लिए दो करोड़ रुपए के स्पेशल किचन के कथित इंतजाम के लिए अपने बॉस से सार्वजनिक तौर पर उलझने वाली आईपीएस अधिकारी डी रूपा का तबादला कर दिया गया है.
रूपा से जेल विभाग के डिप्टी आईजी की जिम्मेदारी लेकर ट्रैफिक और रोड सेफ्टी विभाग में कमिश्नर का चार्ज दे दिया गया है. रूपा के बॉस एचएन सत्यनारायण राव की भी डीजीपी (जेल) पद से छुट्टी दे दी गई है. सत्यनारायण को फिलहाल कोई नई जिम्मेदारी नहीं दी गई है.
एक आला पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “आप हैरत में क्यों हैं? कोई सरकार ज़िम्मेदार पद पर बैठे वैसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं करेगी जो सार्वजनिक तौर पर इस बारे में बहस करे कि जेल जैसे विभाग में किसने करप्शन को बढ़ावा दिया और किसने नहीं दिया.”
इस मसले पर रूपा की तरफ कोई जवाब नहीं मिल सका. लेकिन 2000 बैच की इस आईपीएस अधिकारी के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो जो कुछ हुआ, उससे रूपा डिगने वाली नहीं दिखतीं.
2004 में प्रोबेशन ख़त्म होने के बाद से ही वे सुर्खियों में हैं. तब उन्हें कर्नाटक धारवाड़ की यात्रा पर आईं मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी दी गई थी.
उमा के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट की तामील की ज़िम्मेदारी रूपा को दी गई थी. ये मामला 1994 में हुबली ईदगाह मैदान में तिरंगा फहराने से जुड़ा था.
उमा भारती जिस ट्रेन से कर्नाटक में दाखिल होने वाली थीं, रूपा उस ट्रेन में गोवा के लोंडा में ही सवार हो गईं. रूपा की उमा भारती से हुई बातचीत उस समय न्यूज़ चैनलों पर भी लाइव सुनाई दी.
तभी ये बात पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के सामने जाहिर हो गई कि रूपा एक सख्त अफसर हैं.
कर्नाटक के ही दावनगेरे की रूपा सिटी आर्म्ड रिज़र्व में पोस्टिंग से पहले राज्य के कुछ ज़िलो में पुलिस की कमान संभाल चुकी थीं.
यहां उन्होंने आला अधिकारियों और नेताओं को आवंटित अतिरिक्त सरकारी गाड़ियों के मामले में कड़ी कार्रवाई की.
मैसूर के बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने आईपीएस अधिकारियों के सेंट्रल डेप्यूटेशन पर जाने की चाहत पर एक न्यूज़ स्टोरी ट्वीट की थी जिसके जवाब में रूपा ने कहा कि “नौकरशाही के राजनीतिकरण से लंबे अर्से में सिस्टम और समाज का भला नहीं होने वाला है.”
रूपा की पृष्ठभूमि कुछ ऐसी ही है. जेल विभाग के बॉस को वहां चल रही अनियमितताओं के बारे में लिखी रूपा की चिट्ठी मीडिया में पिछले हफ्ते से ही छाई हुई है. उनके आरोपों को सत्यनारायण राव ने “बेतुका और बकवास” करार दिया है.
लेकिन रूपा की कार्रवाई की सराहना देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी की है.
हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रूपा के आरोपों और सत्यनारायण राव और उनके बीच हुए विवाद की जांच के आदेश दे दिए हैं लेकिन इतना सब कुछ उन्हें ये कहने से रोक नहीं पाई कि उन्हें टारगेट किया जा रहा है.
शशिकला वाले मामले की उन्होंने जेल जाकर तफ्तीश की और अपनी रिपोर्ट के सेकेंड पार्ट में लिखा कि शशिकला के किचन की सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दी गई है.
कर्नाटक के पूर्व डीजीपी एसटी रमेश का कहना है, “तबादला कोई सजा नहीं है. लेकिन लोग इसे सजा के तौर पर देखेंगे. लेकिन सरकार के पास अपने वाजिब तर्क होंगे कि जांच के आदेश दिए गए हैं और निष्पक्ष जांच के लिए दोनों अधिकारियों का तबादला जरूरी था. पूरा मामला ही दुर्भाग्यपूर्ण है.”
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कहते हैं, “यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है. मीडिया को हर बात बताना जरूरी नहीं है.”