मनोज कुमार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खराब साबित हुआ. जुमे के दिना पांच जज मियां नवाज शरीफ के लिए राहु-केतु की तरह साबित हुए हैं. यह अलग बात है कि नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, लेकिन वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. कभी राष्ट्रपति कार्यालय के जरिए, कभी सेना के तख्ता पलट ने उनको सत्ता से बेदखल किया. इस बार न्यायापालिका ने उनको सत्ता से बेदखल कर दिया.
पाकिस्तान के रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया शरीफ जून, 2013 में तीसरी बार सत्ता पर आसीन होने के बाद से सभी ‘सुनामी’ से पार पाने में सफल रहे, लेकिन पनामागेट मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जो उनके करियर के लिए बहुत बड़ा झटका रहा. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पाकिस्तान ऐसे समय राजनीतिक संकट में चला गया और वह इस वक्त अर्थव्यवस्था के बुरे हालात और बढ़ते चरमपंथ का सामना कर रहा है.
देश की समस्याओं को दूर करने में सक्षम नेता के तौर पर छवि रखने वाले शरीफ पनामा पेपर्स के सामने आने के बाद समस्याओं से घिर गए है. शरीफ और उनके परिवार पर विदेश में अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने तथा कर चोरों की पनाहगाह के तौर पर पहचान रखने वाले ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में कंपनि खोलने का आरोप है.सर्वोच्च न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के गठन का फैसला किया. शरीफ, के बेटे हसन और हुसैन, बेटी मरियम तथा भाई एवं पंजाब के मुख्यमंत्री शाहवाज शरीफ जेआईटी के समक्ष पेश हुए.
(जेआईटी) ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी.(जेआईटी) ने कहा कि शरीफ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा भव्य है और उसने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी.शरीफ ने (जेआईटी) की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘बेबुनियाद आरोपों का पुलिंदा’ करार दिया था और पद छोड़ने से इनकार किया था। जारी इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे. उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया.
पहले कार्यकाल के दौरान शरीफ का तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान के साथ गहरे मतभेद हो गए जिसके बाद खान ने अप्रैल,1993 में नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. उसी साल जुलाई महीने में शरीफ ने सेना के दबाव में इस्तीफा दे दिया लेकिन खान को हटाए जाने की शर्त पर सुलह की.शरीफ दूसरी बार 1997 में राष्ट्रपति बने, लेकिन 1999 में परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर उन्हें अपदस्थ कर दिया था.अपने तीसरे कार्यकाल में शरीफ ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) सहित कई विकास परियोजनाओं को शुरू किया.उनकी एक और बड़ी उपलब्धि सैन्य अभियान ‘जर्ब-ए-अज्ब’ है जो 2014 में शुरू किया गया था. सेना के इस अभियान का मकसद उत्तरी वजीरिस्तान और दक्षिण वजीरिस्तान से आतंकवादियों का सफाया करना था.
शरीफ 1949 में लाहौर के अमीर उद्योगपति परिवार में पैउा हुए और उनकी शुरूआती शिक्षा अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही हुई.उन्होंने पंजाब विश्विवद्यालय से कानून की पढ़ाई की और फिर पिता की इस्पात कंपनी के साथ जुड़ गए.सैन्य शासक जियाउल हक के समय वह पहले वित्त मंत्री बने और फिर पंजाब के मुख्यमंत्री बने. फिर 1990 में वह पहली बार प्रधानमंत्री बने.
नवाज़ शरीफ़ को सत्ता से बेदखल करने वाले ये पांच जज
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने शुक्रवार को नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ पनामा मामले में फ़ैसला सुनाया. इन पांच जजों की बेंच ने नवाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री के पद लिए अयोग्य ठहरा दिया है.
जस्टिस आसिफ सईद ख़ान खोसा
जस्टिस आसिफ सईद ख़ान खोसा 2010 में सुप्रीम कोर्ट के लिए चुने गए थे. पनामा मामले में जस्टिस खोसा ही इस बेंच का अध्यक्ष थे. 18 साल के करियर में ख़ान ने क़रीब 50 हज़ार केसों की सुनवाई की है. जस्टिस खोसा उन दो जजों में से एक हैं जिन्होंने नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया.
जस्टिस गुलज़ार अहमद
जस्टिस अहमद ने अपने करियर की शुरुआत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत से की थी. इसके बाद अहमद सिंध हाई कोर्ट बार असोसिएशन के लिए चुने गए. 2002 में जस्टिस अहमद सिंध हाई कोर्ट के लिए जज चुने गए. नवंबर 2011 में अहमद को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
जस्टिस एजाज़ अफज़ल ख़ान
ख़ान ने ख़ैबर लॉ कॉलेज से 1977 में ग्रैजुएशन किया था. 1991 में जस्टिस ख़ान को सुप्रीम कोर्ट में वकालत के लिए रजिस्ट्रेशन मिला था. वह नौ सालों तक पेशावर हाई कोर्ट में जज रहे. बाद में वह पेशावर हाई कोर्ट में मुख्य न्यायधीश बने. 2011 में एजाज़ अहमद ख़ान को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
जस्टिस इजाज़-उल अहसान
पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई करने के बाद जस्टिस अहसान ने पोस्टग्रैजुएट की पढ़ाई न्यूयॉर्क में कोर्नेल यूनिवर्सिटी से की. 2011 में वह लाहौर हाई कोर्ट में जज नियुक्त किए गए थे. 2015 में उन्हें लाहौर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बनाया गया. 2016 में जस्टिस अहसान सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए गए.
जस्टिस शेख अज़मत सईद
1980 में लाहौर हाई कोर्ट से अज़मत सईद ने वकालत शुरू की. इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की. जस्टिस अज़मत पाकिस्तान के कई अहम केसों को निपटाने में शामिल रहे हैं. वह कई केसों में स्पेशल प्रॉसिक्युटर रहे. 2004 में इन्हें लाहौर हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया और 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने.