जनजीवन ब्यूरो / पटना । बिहार में नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के कुनबे के बीच जबरदस्त राजनीतिक हमले जारी हैं। मंगलवार को लालू प्रसाद ने नीतीश पर आक्रामक हमले किए थे बुधवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तीखे सवाल दागे हैं।
तेजस्वी ने कहा
-नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ने के समय कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हैं। लेकिन जिन लोगों के पनामा घोटाले में नाम सामने आया है, क्या उनको भाजपा से दूर करने की बात करेंगे।
– पनामा घोटाले में तो दो देशों के प्रधानमंत्री को हटा दिया गया है। लेकिन भारत में कई भाजपा नेता, उनके पुत्रों, यहां तक की देश की बड़ी योजनाओं के ब्रांड आम्बेसडर का भी नाम आया है। नीतीश कुमार कहीं कोई चर्चा तक नहीं कर रहे हैं।
– क्या व्याप्मं घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग करेंगे।
– पिछले चार साल में चार बार बिहार में सरकार बनी। हर बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने पर कहा कि मेरी अंतरआत्मा सांप्रदायिकत शक्तियों से दूर हटने को मजबूर कर रही है। अब जब महागठंधन को तोड़कर भाजपा के साथ गये तो फिर से कहते हैं कि इस गठबंधन में बने रहने की इजाजत मेरी अंतरआत्मा नहीं दे रही थी। बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि उनकी अंतरआत्मा कितनी बार सोती और जागती है।
-मेरे परिवार के खिलाफ जो सीबीआइ रेड हुआ, वह सीएम नीतीश और मंडल विरोधियों की साजिश थी।
-नीतीश कुमार काफी पहले से भाजपा के साथ जाने का बहाना खोज रहे थे। लेकिन उन्हें कोई बहाना नहीं मिल रहा था। इसलिए सबसे साजिश के तहत सीबीआइ रेड करवाया। इसके बाद उन्हें एक बहाना मिल गया। वे भाजपा के साथ चले गये।
– नीतीश कुमार नैतिकता और सिद्धांत की बात करते हैं तो अब नैतिकता और सिद्धांत कहां गया। नये मंत्रिमंडल में इनके जितने मंत्री हैं सीएम और डिप्टी सीएम सहित करीब 75 प्रतिशत लोगों पर आपराधिक मुकदमा है।
– मेरे मामले में सीएम नीतीश ने कहा कि जीरो टॉलरेंस पर कायम रहने के कारण अंतरआत्मा के कारण महागठबंधन तोड़ने का काम किया, अब वह अंतरआत्मा कहां गया। क्या वो मोदी आत्मा था।
– क्या उनको तकलीफ हो रही थी नौजवान डिप्टी सीएम के साथ जिसके उपर फर्जी मुकदमा दायर की गई थी। आज तो वे सुशील मोदी के साथ बैठ रहे हैं जिनके उपर कई मुकदमा है। बिहार के लोग यह जानना चाहते हैं। सीएम नीतीश को इसका जवाब देना चाहिए।
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– आज केंद्र और राज्य दोनों जगह एनडीए की सरकार है। ऐसे में तो इन्हें यह कानून बना देना चाहिए कि जिसके उपर भी एफआइआर हो गया है, वह किसी पद पर नहीं बना रहेगा।
– तेजस्वी ने कहा कि जब हम बिहार विधानसभा में बोल रहे थे तो लाइव टेलिकास्ट काट दिया गया। हमाने अावाज को जनता तक नहीं पहुंचने दिया। नीतीश कुमार को जवाब देना पड़ेगा। और भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिनका जवाब देना पड़ेगा।
– नीतीश जी लालू यादव पर जात की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि जात की राजनीति की शुरूआत करने वाले तो वही हैं। लालू यादव जी तो मंडल कमीशन के साथ तमाम अतिपिछड़ों, पिछड़ों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को एक साथ लाने का काम किया था। लेकिन नीतीश जी, उस समय भी कमंडल के साथ भाग गये।
– एक बार फिर जब लालू जी ने मायावती, अखिलेश यादव जैसे तमाम मंडल समर्थकों को एक साथ लाने की कोशिश की तो नीतीश कुमार एक बार फिर से धोख देकर कमंडल के साथ भाग गये। कहते थे कि संघ मुक्त भारत बनाने का काम करेंगे। लेकिन खुद संघ की गोद में आकर बैठ गये। हे राम कहने वालों का साथ छोड़कर फिर से जय श्री राम कहने लगे। गोडसे के वंशजों के साथ चले गये।
– चार साल, चार सरकारें और सीएम नीतीश कुमार । ये तो कुर्सी प्रेम है। इनका अंतरआत्मा चार बार जागा और चार बार सोया । ये कौन से अंतरआत्मा है।
– बिहार में आज जो 75 प्रतिशत अपराधी मंत्रिमंडल में हैं, उनके साथ विकास करेंगे! अनंत सिंह के साथ विकास करेंगे! इनकी पार्टी के लोग कहते हैं कि 2009 में मुकदमा खत्म हो गया, तो फिर 2012 के हलफनामें में यह क्यों शामिल किया गया।
– इस बार चाहे मुख्यमंत्री बीमार रहें या गला खराब हो जाये, ये बहाना नहीं चलेगा। जनता को जवाब देना पड़ेगा।
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– बताइये कहते हैं कि उन्हीं की वजह से लालू यादव को वोट मिला। वही लालू यादव को नेता बनाये। इतना ओवर कांफिडेंस तो देखें ही नहीं है। यह जान लेना चाहिए कि जब ज्यादा घमंड हो जाता है तो यह ज्यादा दिन नहीं चलता है। यह लोकतंत्र हैं। जनता सब देख रही है। यदि इस ख्वाब में होंगे कि बिहार के सीएम हैं और अंतिम सांस तक बने रहेंगे तो यह आपका घमंड आने वाले समय में बिहार की जनता चकनाचूर कर देगी।
– हम उनके मंत्री को भी चेतावनी दे देते हैं कि सब के गलत काम का पर्दाफाश करेंगे। जिस बुनियाद पर हमशे इस्तीफा मांगे, हम भी उसी बुनियाद पर सदन में इस्तीफा मांगेंगे। कहते हैं कि लालू यादव परिवारवाद कर रहे हैं। अब बताइये जिसको जनता ने चुनाव में नकार दिया गया, सबसे छोटी पार्टी है, उस पार्टी के नेता को मंत्री बना दिया गया है। कहां गया नैतिकता। कहां गई अंतरआत्मा की अवाज!
– हम तो साफ कहते हैं कि भाजपा के साथ नीतीश कुमार की डिलिंग काफी पहले हो चुकी थी। हमारे परिवार पर आरोप तो एक बहाना था। अब ये पनामा घोटाला और व्यापंम पर क्यों नहीं बोलते। यह सरकार भी काफी दिन नहीं चलेगी।
– नीतीश कुमार तो अब पूरी तरह फंस गये हैं। बीजेपी धोखा देने वालों को नहीं छोड़ती। क्या बीजेपी ने 2013 में भ्रष्टाचार किया था। सुशील मोदी जी भ्रष्टाचार किये थे। आखिर क्यों दूध में से मक्सी की तरह निकालकर फेंक दिया गया। इन सारी बातों का जवाब बीजेपी को देना चाहिए।
– नतीश जी गलतफहमी में हैं कि जनता उनके साथ है। बार-बार विकास बोलने से काम नहीं होता। इनकी बातों से तो नहीं लगता कि इनकी कोई विचारधारा है। ये तो हमेशा बदलते रहते हैं।
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– अपने शासन में हमनें केंद्र से जितना काम करवाने का काम किया, वह सबके सामने है। नीतीश जी तो अब भक्ति में लग गये हैं। नीतीश जी हमको और अशोक चौधरी को बोलते थे कि अब आपलोगों को ही लड़ना है। आप लोगों को यह मालूम नहीं कि ये आरएसएस वाले किस हद तक जा सकते हैं।
– आज क्या हुआ नीतीश जी। एक 28 साल का लड़का आरएसएस के खिलाफ लड़ रहा है और आप घुटने टेक दिये। इसका जवाब देना पड़ेगा। प्रवक्ताओं को सामने कर देने से काम नहीं चलेगा। अापको सामने आना पड़ेगा।
– नीतीश कुमार की नई सरकार नकारत्मक सरकार है। नीतीश जी कहते हैं कि विकास होगा, लेकिन ये बिहार के लोगों का नुकसान कर रहे हैं। पहले से ही संसाधनों का अभाव है।
– बिहार की जनता गुस्से में है। उनके जनादेश की डकैती हुई है। नीतीश कुमार को इसका जवाब हर हाल में देना होगा।
– अब तो बीजेपी सरकार में आ गई है। घोषणापत्र में कहा था कि स्कूटी बांटेंगे, टीवी बाटेंगे। देखते हैं कितना टीवी बंटता है।
– हम पहले महात्मा गांधी से मांफी मांगेगे। कहेंगे कि हे बापू, हमें माफ कीजिएगा। हमें पता नहीं था कि हम जिसके साथ आपके पास आकर बिहार के विकास के लिए काम शुरू किये थे, वह आपके हत्यारों के साथ मिल जायेगा।
– तेजस्वी ने कहा कि यह देख लिजीए कि समता पार्टी के समय जितने भी लोग नीतीश के साथ जुड़े थे, उनमें से ललन सिंह को छोड़कर और कोई साथ नहीं है। समता पार्टी की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले जार्ज फर्नांडिस का कोई अता-पता नहीं है।