जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ । उत्तर प्रदेश के नवजवानों को दूसरे प्रदेश ज्यादा भा रहे हैं। कम से कम भारतीय वाणिज्य उद्योग मंडल यानि एसोचैम की रिपोर्ट तो ये ही कहती है। रिपोर्ट के मुताबिक यूपी से सबसे अधिक लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। पिछले 20 साल के तुलनात्मक अध्ययन में यह माना गया है कि पलायन करने वाले युवाओं की संख्या दोगुनी हुई है। इस पलायन के अलग-अलग कारण हैं और उसी के मुताबिक निष्कर्ष भी। हर बार यह पलायन रोजी-रोटी के लिए नहीं हुआ लेकिन पलायन करने वाली बड़ी आबादी की वजह रोटी है।
जानकर मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के सभी हिस्सों से पलायन हुआ है लेकिन पूर्वांचल और बुंदेलखंड इसमें अव्वल रहे हैं। बुंदेलखंड के पलायन का विषय तो पिछले काफी समय से राजनैतिक चर्चा के केंद्र में भी रहा है। जानकर मानते हैं कि प्रदेश से हो रहे पलायन को समझने के लिए हमें कई बिंदुओं पर गौर करना पड़ेगा। पलायन बुंदेलखंड से भी हो रहा है और पश्चिम उत्तर प्रदेश से भी। लेकिन क्षेत्रों में पलायन की प्रवृत्ति में काफी अन्तर है। पश्चिम उत्तर प्रदेश अपेक्षाकृत साधन संपन्न है जबकि बुंदेलखंड में खेती के साधनों और पूर्वांचल में आधारभूत संसाधनों की कमी है।
सामाजिक कार्यकर्ता रवि केुमार की नज़र में पश्चिम उत्तर प्रदेश का युवा संपन्न है लेकिन वह अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पलायन करता है। बुंदेलखंड में खेती-किसानी न के बराबर हो रही है ऐसे में खेतीहर मजदूर बड़े शहरों की ओर काम-धंधे की तलाश में पलायन कर रहा है। पूर्वांचल में शिक्षा-स्वास्थ्य के साधन सुलभ न होने के कारण युवा बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इंग्लैण्ड में भारत के 175000 युवा आईटी क्षेत्र में काम कर रहे हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कार्यक्षमता और कुशलता से लैस हैं। इन युवाओं में 40 फीसदी आबादी अकेले उत्तर प्रदेश के युवाओं की है। आई टी सेक्टर से लेकर गांव की खेती तक, हर पैमाने पर युवाओं के पलायन के पीछे की कहानी यही है कि उन्हें अपने घर में बेहतर करने का मौका नहीं मिला।
सिर्फ विदेशों में ही नहीं, भारत के मेट्रो और आईटी शहरों में उत्तर प्रदेश के युवाओं ने महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रखी है। यूपी में तकनीकि के क्षेत्र में विकास और आईटी सिटी की परिकल्पनाएं तो सामने आईं लेकिन जमीनी स्तर पर अभी उनके क्रियान्वयन में राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी दिख रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में खेती से मोहभंग होने के बाद ग्रामीण युवा भी छोटे-मोटे काम धंधों की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
एसोचैम का आंकड़ा के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच 20 से 29 साल की उम्र के 58 लाख 34 हज़ार लोगों ने उत्तर प्रदेश से बाहर पलायन किया है जबकि 1991 से 2001 के बीच यह संख्या 29 लाख 55 हज़ार थी।
विधानसभा चुनाव में कई वादों के साथ भाजपा का युवाओं को रेजगार देने और इनके पलायन को भी कम करने का वादा था। ऐसे में एसोचैम की रिपोर्ट सरकार को परेशान करने वाली है। सीएम योगी को युवाओं के लिए उनके कार्यक्षमता के अनुसार रोजगार देने और पलायन रोकने की भी चुनौती रहेगी।