जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें सरकार को परेशान कर रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के बयान से इस बात का संकेत मिलता है। उनका कहना है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, महंगाई की दर, रोजगार और कृषि क्षेत्र का विकास अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौतियां हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के संसद में आर्थिक समीक्षा 2017-18 पेश करने के बाद सुब्रमण्यम ने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें अर्थव्यवस्था के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
इस गति से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती रही तो इससे अर्थव्यवस्था की विकास दर प्रभावित हो सकती है। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटेगा और चालू खाते का घाटा (सीएडी) भी बढ़ सकता है। यही नहीं इससे महंगाई की दरों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
महंगाई दर के बढ़ने की प्रवृत्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इससे ब्याज दरों पर असर पड़ेगा। हालांकि वर्ष 2017-18 के औसत महंगाई की दर की बात करें तो यह छह साल के न्यूनतम स्तर, 3.3 फीसदी पर है। लेकिन यह भी सही है कि हाल में इसमें बढ़ने के लक्षण देखे गए हैं। इसे नियंत्रण में रखना सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए सरकार कई स्तर पर एक साथ काम कर रही है। इसी के साथ रोजगार बढ़ाने के लिए कौशल विकास पर भी बल दिया जा रहा है।
कृषि उत्पादन समस्या नहीं, उपभोक्ता तक पहुंच सुनिश्चित करना समस्या
कृषि क्षेत्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस समय कृषि उत्पादन कोई बड़ी समस्या नहीं है। कृषि उपज की अंतिम उपभोक्ता तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच सुनिश्चित करना एक समस्या है।
उनका संकेत इस ओर था कि किसान जितनी फल-सब्जी उगाते हैं, उसमें से काफी मात्रा खराब हो जाती है। इसी तरह भंडारण सुविधा का उचित प्रबंध नहीं होने से किसानों को उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती। इसलिए सरकार अब इस ओर ध्यान दे रही है। यह पूछे जाने पर कि खेतीबाड़ी क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या घटी है, तो उन्होंने कहा, इस क्षेत्र का भी मशीनीकरण हो रहा है, इसलिए श्रमिकों की अब उतनी मांग नहीं रही जितनी पहले होती थी।
निवेशकों के आने से बढ़ रहा शेयर बाजार
शेयर बाजार के सूचकांक के शीर्ष पर पहुंचने और इसका बुलबुला कभी भी फटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस समय घरेलू निवेशकों के समक्ष निवेश के ज्यादा विकल्प रह नहीं गए हैं। उन्हें सोना या रियल एस्टेट में उचित प्रतिफल मिल नहीं मिल रहा है। इसलिए वे शेयर बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, लिहाजा सूचकांक भी बढ़ रहा है। लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है कि यह बुलबुला फट जाएगा।