जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । लोकसभा और विधानसभा चुनाव देशभर में एक साथ कराने की मांग बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कर रहे हैं। अमित शाह ने इस मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखकर एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत वर्तमान परिदृश्य में इसे कोरी कल्पना ही बता रहे हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से कराया जाए तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं। चुनाव आयुक्त ने कहा कि देश में पहले चार चुनाव एक साथ ही थे। अगर कानून में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है।
इस संदर्भ में चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य विधानसभाएं अगर सहमत हो जाएं तो एक साथ चुनाव कराना संभव है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी अगले साल लोकसभा चुनावों के साथ 10-11 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराने के प्रयास कर रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की बात तो बिना संशोधन के संभव नहीं दिखता। जैसा 11 राज्यों के चुनाव का मीडिया में आया तो उस तरह की स्थिति में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।
2015 में ही चुनाव आयोग दे चुका है व्यापक सुझाव: सीईसी
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि एक साथ चुनाव को लेकर चुनाव आयोग + 2015 में ही व्यापक सुझाव दे चुका है। चुनाव आयोग बता चुका है कि इसके लिए संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में कौन-कौन से संशोधन कराने होंगे। ओपी रावत ने कहा कि इन संशोधनों के बाद अन्य जरूरतो में पर्याप्त वोटिंग मशीन (वीवीपैट), अधिक सुरक्षाकर्मियों जैसी जरूरतों से भी अवगत करा दिया गया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक साथ चुनाव बिल्कुल कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के पहले 4 चुनाव 1967 तक एक साथ हुए हैं। मशीनें पर्याप्त हों, सुरक्षाकर्मी पर्याप्त हों और कानूनी प्रावधान हों, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है।