जनजवीन ब्यूरो
नई दिल्ली। एक से एक नए खुलासे होने के कारण मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला दिलचस्प होता जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मामले को लेकर तकरार और तीखी हो गई है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि इस मामले में आरएसएस पूरी तरह संलग्न है इसलिए जांच से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री घबरा रहे हैं। अबतक कांग्रेस आरएसएस पर अटैक नहीं कर रही थी। साथ ही यह भी कहा है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान की ओर से सीबीआई जांच के लिए सहमति जताने में विलंब एक आपराधिक कृत्य है क्योंकि इस मामले में बहुत सारे सबूत पहले ही खत्म हो चुके हैं।
कांग्रेस ने एमबीबीएस की छात्रा नम्रता दामोर की मौत को हत्या बताते हुए मांग की है कि व्यापमं घोटाले और इससे जुड़ी मौतों की जांच सीबीआई अलग अलग करे। एमबीबीएस की छात्रा नम्रता दामोर का शव 7 जनवरी 2०12 को रेल लाइन पर संदिग्धावस्था में मिली थी। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताकर फाइल बंद कर दी थी। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करने वाले डॉक्टर ने कहा है कि नम्रता की गला घोंटकर हत्या की गई थी।
कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में जितनी भी मौतें हुई है सभी संदेह के घेरे में है। भाजपा से जुड़े संगठन आरएसएस की संलिप्तता जांच से सामने आ सकती है। यह संगठन पूरी तरह इस मामले में शामिल है इसलिए सीबीआई जांच से सरकार कतराती रही है। कांग्रेस के एक और प्रवक्ता अभिषेक सिघवी ने कहा, ”हमारी मांग निरंतर यह रही है कि सीबीआई की निगरानी के लिए एसआईटी हो।’’ मुख्यमंत्री चौहान के 24 घंटे के भीतर बदले रूख पर हैरानी जताते हुए सिघवी ने कहा कि शायद उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर आंतरिक अपवादों तथा तथ्यों को स्पष्ट करने की असंभावना को देखते हुए अपना रूख बदला। सिंघवी ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ”अगर 3०, 4०, 5० मौतों के मामले पर प्रधानमंत्री नहीं बोलते तो मुझे हैरानी है कि वह किस बात पर बोलेंगे। क्या वह ट्विटर, सोशल मीडिया, लाल किला, टेलीविजन, मन की बात में बोलेंगे?’’
आरपीएन सिंह ने कहा ”यह घोटाला अपराध, साजिश और हत्या का घृणित अध्याय है। शुरूआती सबूत का अपना महत्व होता है। शिवराज सिह चौहान सीबीआई को जांच सौंपने में विलंब के आपराधिक कृत्य के दोषी हैं और अब बहुत सारे सबूत नष्ट हो चुके हैं।’’ उन्होंने सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में अदालत से आग्रह करने की बजाय केंद्र की भाजपा नीत सरकार को सीधे सीबीआई जांच के लिए क्यों नहीं लिखा? कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा करके वह अदालत को सूचित कर सकते थे। सिंह ने आरोप लगाया कि ‘यह एक और खेल है।’
चौतरफा दबाव से घिरे मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को यूटर्न लिया और सीबीआई जांच पर सहमति जताई। राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रूख कर इस प्रवेश परीक्षा और भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के निर्देश की मांग की।
कांग्रेस पवक्ता शोभा ओझा ने कहा कि न सिर्फ व्यापमं घोटाले, बल्कि इस मामले से जुड़ी सभी मौतों की जांच सीबीआई द्बारा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ”व्यापमं से जुड़ी जिन मौतों को मध्य प्रदेश सरकार ने आत्महत्या करार दिया उनकी जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्बारा होनी चाहिए ताकि सभी असामान्य मौतों, दुर्घटना से हुई मौतों और आत्महत्या के मामलों का सच सामने आ सके।’’ शोभा ने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा के कई नेताओं के नाम व्यापमं घोटाले में आए हैं।
कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए उच्च न्यायालय से आग्रह कर चुके हैं, ऐसे में यह मामला अब अदालत और एजेंसी के बीच का है। उन्होंने कहा, ”देश और जनता को अदालत की निगरानी वाली जांच में विश्वास है। इसमें कांग्रेस की निगरानी की कोई जरूरत नहीं है।’’हुसैन ने कहा कि सीबीआई जांच की विपक्ष की मांग स्वीकार कर ली गई है और अब उनको शोरगुल करने की बजाय जांच की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
उधर, युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी दिल्ली में चौहान के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिह राजा बरार, एनएसयूआई प्रमुख रोजी जान तथा पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।