जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। स्पीड और खतरनाक ड्राइविंग के कारण पिछले साल 91000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक साल 2014 में औसतन हर घंटे 16 मौतें हुईं और कुल 1.41 लाख से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी जो 2013 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा थी।
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकडों के अनुसार ज्यादा स्पीड में वाहन चलाने के कारण 1.7 लाख टक्कर हुई जिसमें 49000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई। वाहन चालकों के खतरनाक ड्राइविंग के कारण 1.4 लाख दुर्घटनाएं हुई जिसमें 42000 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी।
सड़क हादसों में कुचले गए और घायल हुए लोगों की संख्या भी इस साल में सबसे अधिक रही। यह आंकड़ा क्रमशः 4.5 लाख और 4.8 लाख था। सड़क हादसों में मरने वालों लोगों की कुल संख्या के आधे लोग टू वीइलर और ट्रक से जुड़ी दुर्घटनाओं में मरे। जबकि दुर्घटना में 13,787 टू वीइलर ड्राइवर की मौत हुई और इन्हीं दुर्घटनाओं में अन्य संबंधित 23,529 यात्रियों की मौत हुई। साथ ही 1.4 लाख लोग इन हादसों में घायल हुए।
सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से ये राज्य सबसे ज्यादा घातक साबित हुए- यूपी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान। यूपी में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 16,284 औऱ तमिलनाडु में यह आंकड़ा 15000 रहा।
मेगा सिटीज की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा 2,199 मौतें हुई, वहीं चेन्नै में यह आंकड़ा 1046 रहा। भोपाल और जयपुर इस सूची में क्रमशः तीसरे और चौथे क्रम पर रहे। भोपाल में सड़क हादसों में 1015 और जयपुर में 844 लोगों की मौत हुई।