जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री मुख्तार अब्बास नकबी ने राहुल गांधी को संसद का ‘गूंगा गुड्डा’बताया है। राहुल और कांग्रेस पर रविवार को ब्लॉग लिखकर नकवी ने उनकी जमकर आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अटैकिंग मोड से भाजपा सकते में है। कांग्रेस के इस रवैये के चलते मॉनसून सत्र में एक दिन भी कार्यवाही सही से नहीं हो सकी है और तमाम जरूरी बिल अटके हैं।
नकवी ने लिखा, संसद का ‘गूंगा गुड्डा’, ‘सड़क का सूरमा’ बनने की कोशिश में ‘घर (संसद) का न घाट (सड़क) का’ की स्थिति में आ गया है। संसद और सड़क की सियासत जन सरोकार और देश के विकास के मुद्दों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई होती है। संसदीय लोकतंत्र का यह पहला मौका है जब ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ के ‘ब्रैंड न्यू लीडर’ न तो सड़क की हकीकत समझ पा रहे हैं, न ही संसद का महत्व। राहुल बाबा का ‘नॉनसेंस से न्यूसेंस’ तक का राजनैतिक सफर संसदीय सोच और सड़क की समझ से कोसों दूर है।
संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने बिना किसी तर्क के बाधित किया है, जबकि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा और उसके समाधान की बात बार-बार दोहराती रही, बातचीत-बहस के लिए कांग्रेस से बराबर विनती करती रही, लेकिन कांग्रेस अपने असहयोगात्मक और अहंकारी रुख पर कायम रही। प्रजातंत्र में विपक्ष की अहम भूमिका होती है, लेकिन इस मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस ने जो व्यवधानकारी और नाकारात्मक रणनीति अपनाई है, उसे किसी भी तरह से उचित नहीं माना जा सकता।
सुषमा स्वराज द्वारा अपना पक्ष रखने के बाद भी कांग्रेस इस मामले को छोडऩे को तैयार नहीं है, इससे तो यही साबित होता है कि कांग्रेस पूरी तरह से ‘राजनैतिक दिवालिया पार्टी’ बन गई है। कुल 9 बिल इस सत्र में इंट्रोडक्शन के लिए निर्धारित थे, 8 बिल जोकि राज्यसभा में पेंडिंग हैं, पारित किए जाने थे, जिनमें दो अत्यंत महत्वपूर्ण बिल GST, रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवलपमेंट) बिल, 2013 भी हैं।