जनजीवन ब्यूरो / जामनगर । हिरासत में मौत के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और उनके सहयोगी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। करीब 30 साल बाद भट्ट को यह सजा मिली है। 1990 में पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मौत के मामले में जामनगर की अदालत ने पूर्व आईपीएस को उम्रकैद की सजा दी है। उस समय भारत बंद के दौरान हिंसा हो गई थी।उस दौरान संजीव भट्ट जामनकर के एएसपी थे। हिंसा के दौरान 133 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
बता दें कि भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ थे, जब एक व्यक्ति की हिरासत में मौत हुई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार भट्ट ने वहां एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था और इनमें से एक व्यक्ति की रिहा किए जाने के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।
2015 में हुए थे बर्खास्त
इतना ही नहीं भट्ट को 2011 में बिना अनुमति के ड्यूटी से नदारद रहने और सरकारी गाड़ियों का दुरुपयोग करने के आरोप में भी निलंबित कर दिया गया था और बाद में अगस्त 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले 1998 के मादक पदार्थ से जुडे़ एक मामले में भी भट्ट गिरफ्तार हुए थे। तब संजीव भट्ट को पालनपुर में मादक पदार्थों की खेती के एक मामले में छह अन्य लोगों के साथ अरेस्ट किया गया था। 1998 में संजीव भट्ट बनासकांठा के डीसीपी थे।