जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पोलियो की तरह टिटनस मुक्त भारत होने पर खुशी जताई है और आशा व्यक्त की है कि जल्द ही मातृ- शिशु मृत्यु दर भी शुन्य पर आ जाएगा। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को मातृ और शिशु स्वास्थ्य को लेकर आयोजित एक ‘ग्लोबल कॉल टू एक्शन समिट 2015’ शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्यों के बीच असमानता को दूर करने वाली एक समान सेवा मुहैया कराने का वादा करते हुए कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले 184 जिलों की पहचान की गयी है जहां अधिक संसाधन प्रदान किए जाएंगे और केंद्रित कार्यक्रमों को लागू किया जाएगा।
यह सम्मेलन पहली बार अमेरिका के बाहर हो रहा है और इसमें 24 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। शिखर सम्मेलन में 24 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य माताओं एवं बच्चों की मौतों को रोकना सुनिश्चित करने की दिशा में देशों के बीच समंजस्य बनाना है। दिसंबर 2015 के वैश्विक लक्ष्य से पहले भारत द्वारा माता एवं शिशुओं में टिटनेस के कारण होने वाली बीमारी को समाप्त करने का जिक्र करते हुए मोदी ने वैश्विक समुदाय के समक्ष प्रौद्योगिकी एवं कार्यक्रम हस्तक्षेप के जरिए रोगों से मुकाबला करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने नवजात शिशुओं और माताओं को होने वाली टिटनेस की बीमारी को मिटा दिया है। मोदी ने देश में पोलियो उन्मूलन पर बेहद खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया। मोदी ने कहा कि पोलियो जैसी बीमारी को मिटाकर भारत ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। जिस तरह देश में पोलियो पर जीत हासिल की गई उसी तरह माता और शिशु मृत्यु दर को भी शून्य के स्तर पर लाने का हर संभव प्रयास हो रहा है।
माता एवं बाल स्वास्थ्य समेत विविध क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत पांच वर्ष से कम आयु वर्ग में मृत्यु दर को कम करने के लिए सह्रस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को हासिल करने के करीब पहुंच जायेगा। मोदी ने कहा कि देश को एक ऐसी व्यवस्था को संस्थागत रूप देने की जरुरत है जहां वंचित समुदायों को सार्वभौम स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय संरक्षण प्राप्त हो सके क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रमों से लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा खास जोर समता स्थापित करने पर है। राज्यों में असमानता से प्रभावितों के लिए पूरे क्षेत्र में समतामूलक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के तौर पर और स्वास्थ्य परिणामों के तीव्र सुधार के संदर्भ में पूरे देश में खराब प्रदर्शन करने वाले 184 जिलों की पहचान की गयी है। मोदी ने कहा कि इन इलाकों में अधिक संसाधन प्रदान किये जाने और केंद्रीत कार्यक्रमों को लागू करने की दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत इस विषय पर गंभीर है और विश्व के विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार है। प्रसव के दौरान मां और शिशु के मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इन मौतों की रोकथाम को लेकर प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि विश्व में प्रतिवर्ष 289 हजार माताओं और पांच वर्ष से कम उम्र के 63 लाख बच्चों की मौत हो जाती है जो बेहद दुखद है। प्रभावशाली व्यवस्था से इन मौतों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व में जितनी माताओं और बच्चों की मौत होती है उनमें से 70 प्रतिशत मौत इन्हीं देशों में होती है। भारत में पिछले वर्षों की तुलना में प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई है साथ ही शिशु मृत्यु दर भी कम हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 1990 में पांच वर्ष के कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 126 थी जबकि वैश्वक स्तर पर यह दर 90 थी। उन्होंने कहा 2013 में देश में यह दर घटकर 49 हो गई है। गौरतलब है कि भारत दुनिया के उन पिछड़े देशों में शामिल हैं जहां जच्चा-बच्चा मृत्यु दर अधिक है.