जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। दस केंद्गीय मजूदर संगठनों के राष्ट्रव्यापी हडताल पर कांग्रेस ने कहा कि यही है भाजपा का सबका साथ, सबका विकास। कांग्रेस ने आंदोलन के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की ‘पूर्ण उदासीनता’ को जिम्मेदार ठहराया। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ”ऐसा लगता है कि जैसे ब्रिटिश इस देश के लाखों मजदूरों की कीमत पर ईस्ट इंडिया कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहत थे, उसी तरह मोदी सरकार पांच-छह सांठगांठ वाले उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाना चाहती है।’’
सिंघवी ने सरकार पर आंदोलनकारी मजदूर संघों के साथ संपर्क करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार का ‘हठ’ इस गतिरोध और आज के राष्ट्रव्यापी हडताल के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, ”मजदूरों का नुकसान करते हुए सांठगांठ वाले कुछ पंजीपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव के लिए घोर उदासीनता इस सरकार के रवैये को दर्शाता है।’’
सिंघवी ने साथ ही कहा, ” ‘सबका साथ, सबका विकास’ महज एक नारा है।’’देश के प्रमुख मजदूर संघों ने अपनी 12 सूत्री मांगों पर जोर देने के लिए आज दिन भर की हडताल बुलाई है।
मजदूर संघों की 12 सूत्री मांगों में महंगाई पर काबू पाने के लिए तत्काल उपाय, बेरोजगारी पर अंकुश, प्राथमिक श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना,सभी कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवर और प्रतिमाह 15,००० रुपए का न्यूनतम वेतन शामिल हैं। साथ ही वे कामगारों की पेंशन बढ़ाने, सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश बंद करने, ठेका प्रथा बंद करने, बोनस व भविष्य निधि पर सीमा समाप्त करने, 45 दिनों के भीतर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य पंजीकरण, श्रम कानूनों में मनमाने ढंग से बदलाव नहीं करने और रेलवे, रक्षा आदि क्षेत्र में एफडीआई रोकने की भी मांग कर रहे हैं।
हड़ताल से 25 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित
केंद्रीय मजदूर संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत देशव्यापी हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान है। यह बात एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया, एसोचैम ने कही। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने से अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने की संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मजदूरों की अनुपस्थिति से औद्योगिकी गतिविधि अवरुद्ध होगी. इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित होने से खुदरा बाजार में भी व्यवधान पैदा होगा और बैंक कर्मियों के हड़ताल पर रहने से बैंकिंग सेवा भी प्रभावित होगी।”
रावत ने कहा, “माल निर्यात करने वाले परिवहन माध्यमों पर हड़ताल का व्यापक असर होगा, जिससे समय पर माल की आपूर्ति नहीं हो पाएगी। इसके अलावा निर्यात में पहले से ही दर्ज की जा रही गिरावट के कारण यह हड़ताल एक और धक्का साबित होगी।”
उद्योग संघ के मुताबिक, इसका सबसे बुरा असर गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर होगा। रावत ने कहा, “श्रम सुधार जरूरी है और उद्योग तथा देश हित में समाधान निकालने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।”