जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सभी फाइलों को सार्वजनिक करने की वकालत की है। टूकड़ों में सार्वजनिक करने से सही तस्वीर जनता के सामने नहीं आ सकेगी। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस पार्टी ममता बनर्जी के साथ पूरी तरह है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी वे 64 फाइलें सार्वजनिक कर दीं हैं, जो उनके रहस्यमय ढंग से लापता हो जाने पर कुछ रोशनी डाल सकती हैं। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र को भी बोस से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक कर देनी चाहिए। 12,744 पन्नों वाली 64 फाइलें बोस के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में प्रदर्शित की गईं। बोस के परिवार के सदस्य यह मांग करते रहे हैं कि उनसे जुड़ी जो जानकारी आज तक गोपनीय बनाकर रखी गई, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। 64 फाइलों में से 55 फाइलें कोलकाता पुलिस के पास हैं जबकि नौ अन्य फाइलें राज्य की पुलिस के पास हैं।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने ट्वीट किया आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमारी सरकार ने नेताजी की सभी फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं। लोगों को भारत के बहादुर बेटे के बारे में जानने का अधिकार है। बाद में उन्होंने कहा कि हमने एक शुरूआत की है। लोगों को सच पता चलना चाहिए। केंद्र सरकार को भी नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करनी चाहिए। हम सभी में सद्बुद्धि आए। आप सच को दबा नहीं सकते। सच को बाहर आने दें।’’
नेता जी से जुड़े रहस्य को 7० वर्ष में भी सुलझाया नहीं जा सका है। आम जनता नहीं जान सकी है कि नेताजी के साथ क्या हुआ था? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तो फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करती थी, लेकिन सत्ता में आने पर वह भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाने लगी। दरअसल फाइलों को सार्वजनिक करने से भारत के संबंध कई देशों के साथ खराब हो सकते हैं इसलिए कोई भी सरकार इन फाइलों को सार्वजनिक करने से हिचकिचाती थी, लेकिन जब ममता बनर्जी ने फाइल सार्वजनिक कर दी है तो पूरी दुनिया में रखी सभी फाइलों को एकत्र कर सार्वजनिक कर दिए जाने चाहिए, ताकि सच्चाई से जनता अवगत हो सके। टूकड़ों में सामने आने से सही तस्वीर सामने नहीं आएगी।
केंद्र सरकार के पास 13० फाइलें हैं, उन्हें भी सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है। अबतक यह माना जाता रहा है कि नेताजी का निधन वर्ष 1945 में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। यह भी आरोप लगाए जाते रहे हैं कि नेताजी के परिजनों की जासूसी भी कराई जाती थी।