जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी को भी कोरोना वायरस के लक्षण में शामिल कर लिया। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स द्वारा चर्चा की गई थी, जिसके बाद इस बारे में फैसला लिया गया है। इस मुद्दे को राष्ट्रीय टास्क फोर्स में चर्चा के दौरान शामिल किया गया था।
कोरोना के कई मामलों में रोगियों के सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता में कमी आई है, इसलिए इसे अब संक्रमण के लक्षण में शामिल कर लिया गया है। पहले बुखार, कफ, थकान, सांस लेने में दिक्कत, बलगम के साथ खांसी, मांसपेशियों में दर्द, नाक से पानी बहना-गला खराब होना-दस्त होना जैसे लक्षण शामिल थे, जिनके आधार पर कोरोना की जांच की जा रही थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अप्रैल में यूरोपीय संघ के कई देशों, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर कोविड -19 के प्रमुख लक्षणों में सूंघने और स्वाद की कमी को जोड़ा था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की अनुमति दी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के इलाज के लिए आपातकाल में वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर, प्रतिरोधक क्षमता के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा टोसीलीजुमैब और प्लाज्मा उपचार की अनुशंसा की है।
अपने कदम पीछे खींचते हुए मंत्रालय ने शनिवार को ‘कोविड-19 के लिए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ की समीक्षा की है। इसने कहा कि बीमारी की शुरुआत में सार्थक प्रभाव के लिए मलेरिया रोधक दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और गंभीर मामलों में इससे बचना चाहिए।
मंत्रालय ने नए प्रोटोकॉल के तहत गंभीर स्थिति और आईसीयू की जरूरत होने की स्थिति में एजिथ्रोमाइसीन के साथ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किए जाने की पहले की अनुशंसा को समाप्त कर दिया है।
इसने कहा कि कई अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के क्लीनिकल इस्तेमाल में काफी फायदा बताया गया है। संशोधित प्रोटोकॉल में कहा गया है, ‘कई बड़े अवलोकन अध्ययनों में इसका कोई प्रभाव या सार्थक क्लीनिकल परिणाम नहीं दिखा है।’
इसमें बताया गया है, ‘अन्य वायरसरोधी दवाओं की तरह इसका इस्तेमाल बीमारी की शुरुआत में किया जाना चाहिए ताकि सार्थक परिणाम हासिल किया जा सके और गंभीर रूप से बीमारी मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल करने से बचा जाना चाहिए।’