डॉ. एम. रहमतुल्लाह / नई दिल्ली । तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य महामारी के बावजूद, ईरानी अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में देश भर में कम से कम 71 लोगों को अपना निशाना बनाते हुए बहाइयों के उत्पीड़न में काफी तेजी लाई है। शीराज़ में समुदाय को “उखाड़ने” की नई धमकियों की रिपोर्ट के साथ-साथ अभूतपूर्व संख्या में जेल भेजने की नई सजाओं, उन्हें दोबारा कैद करने की घटनाओं और घृणा को हवा देने वाले मीडिया अभियानों ने ईरान में लंबे समय से उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चिन्ताजनक हालात पैदा कर दिए हैं।
शीराज़ में बहाइयों के एक समूह के लिए आयोजित अदालत की सुनवाई में, न्यायिक अधिकारी ने शहर में बहाइयों को “उखाड़ फें कने” की धमकी दी। अदालत ने बहाइयों को 1 से 13 साल तक की जेल की सजा भी सुनाई। हाल के सप्ताहों में, शीराज़ में महीनों से लम्बित प्रकरणों वाले 40 बहाइयों को अदालत में तलब किया गया है और इस तरह हाल के वर्षों में एक ही शहर में बहाइयों को न्यायालय का समन भेजे जाने की यह अभूतपूर्व संख्या है।
न्यूयॉर्क में बहाई अंतर्रा ष्ट्रीय समुदाय की मुख्य प्रतिनिधि बानी दुग्गल ने कहा है कि “न्यायिक अधिकारी द्वारा दिया गया इस तरह का धृष्ट बयान स्पष्ट रूप से उस धार्मिक कट्टरता और पूर्वाग्रह की झलक दिखाता है जिसे ईरान के बहाई झेलते आ रहे हैं। यह न्यायिक प्रणाली में व्याप्त अन्याय और अधिकारियों के खुले इरादे का भी स्पष्ट प्रमाण है।“ उन्होंने कहा कि “यह न केवल कानून के राज का कोई अस्तित्व न होने का सूचक है बल्कि ईरान की न्याय प्रणाली में बहाइयों के साथ जिस घोर भेदभाव का परिचय दिया जाता है उसे भी दर्शाता है। इसका उद्देश्य बहाइयों को डराना-धमकाना और उन लोगों तथा उनके परिवारों पर, जिन्हें सीधे निशाना बनाया गया है, और उनके साथ ही ईरान के सभी बहाइयों पर भारी मनोवैज्ञानिक दबाव डालना है।”
शीराज़ के अलावा, बिरज़ंद, यज़्द, काराज़, कईमशहर, किरमानशाह और इस्फ़हान में भी बहाइयों को
गिरफ्तार किया गया है और हाल के सप्ताहों में केवल उनकी आस्था के कारण उन्हें जेल में रखा गया, उनपर मुकदमे चलाए गए, उन्हें जेल की सजा सुनाई गई या कैद किया गया। ऐसे कम से कम 71 बहाई हैं।
गिरफ़्तारी और भारी जमानत पर रिहा होने के बाद, इन व्यक्तियों को अपनी कैद, मुकदमा, अपील
न्यायालय और जेल की अवधि शुरु होने की प्रक्रियाओं के बीच महीनों, और कभी-कभी वर्षों का इंतज़ार करना पड़ा है जिससे उनका मनोवैज्ञानिक दवाब और ज्यादा बढ़ गया है। पूरे बहाई समुदाय पर सुनियोजित रूप से दबाव डालते हुए, हाल के वर्षों में अधिकारियों द्वारा इस तरह की क्रूर रणनीति को बार-बार कार्यान्वित किया गया है।
बिरज़ंद में गिरफ्तार किए गए बहाई लोगों में एक बुजुर्ग व्यक्ति भी हैं। कैद किए जाने की स्थिति में उनकी उम्र के कारण उनके स्वास्थ्य के लिए भारी जोखिम हो सकता है। कुछ व्यक्तियों को, जो अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल के काम में लगे हुए थे, अदालत का समन मिलने पर इस व्यापक लॉकडाउन के दौरान भी सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। एक और दंपति जिन्हें जेल की सजा सुनाई गई है, उनकी एक बेटी है जिसे कैं सर है और उन्हें कैद किए जाने के हालातों में उसकी देखभाल को लेकर गंभीर चिंता उठ खड़ी होती है।
सुश्री दुग्गल ने कहा कि “हाल की घटनाओं ने सैकड़ों परिवारों पर बहुत भारी दबाव डाला है। इन
परिस्थितियों में उन्हें जेल की लगातार धमकी का पात्र बनाना और इससे जुड़ी भावनात्मक पीड़ा समुदाय पर पहले से भी ज्यादा दबाव डालने का एक और प्रयास है। और बिना किसी औचित्य के यह सबकुछ तब करना जब एक भीषण स्वास्थ्य संकट तेजी से विकराल रूप लेता हुआ सामने खड़ा है, अत्यंत ही क्रूरतापूर्ण और आक्रोश उत्पन्न करने वाली बात है।“
ईरान के सबसे बड़े गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को 1979 की इस्लामी क्रांति के समय से ही उत्पीड़ित किया जाता रहा है। 1991 में ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा अनुमोदित एक गुप्त ज्ञापन में बहाइयों को विश्वविद्यालयीन शिक्षा और आजीविका कमाने की उनकी क्षमताओं को बाधित करके बहाई समुदाय की “प्रगति और विकास” को रोक देने की बात कही गई है।
हाल के ये दबाव तब उभर उठे हैं जब ईरान की राज्य-पोषित मीडिया भी बड़ी तेजी से भ्रामक सूचनाओं के प्रसार के माध्यम से बहाइयों की सार्वजनिक मानहानि करने के लिए आगे आई है। टेलीविजन चैनलों, समाचार पत्रों, रेडियो स्टेशनों और सोशल मीडिया में बहाई मान्यताओं की गलत आलोचनाओं की भरमार है जबकि बहाइयों को उनका कोई भी प्रत्युत्तर देने के अधिकार से भी वंचित रखा गया है। इस साल अबतक बहाई अंतर्रा ष्ट्रीय समुदाय द्वारा 3,000 से अधिक बहाई-विरोधी दुष्प्रचार रिकॉर्ड किए गए हैं जबकि जनवरी से अप्रैल के बीच इसमें दोगुनी वृद्धि हुई है।
सुश्री दुग्गल ने कहा कि, “किसी भी समुदाय को जड़ से उखाड़ फें कने की धमकी देना, उसके सदस्यों पर सामूहिक रूप से मुकदमा चलाना, वैश्विक महामारी के दौरान उन्हें कैद करना और उनके खिलाफ घृणित प्रचार फैलाने की कोशिश करना चौंकाने वाला और गहन रूप से परेशान करने वाला विषय है। यदि ईरान की सरकार कानून का पालन करने वाले नागरिकों के एक समुदाय को उखाड़ फें कने का प्रयास करती है तो वह अपने लोगों की भलाई के लिए अपने पवित्र कर्तव्य का निर्वाह कैसे कर सकती है? इन घटनाओं में जिन बहाइयों को निशाने पर लिया गया है वे और, वास्तव में, भेदभाव के शिकार सभी बहाई धर्मावलम्बी बेकसूर हैं और उन्हें धार्मिक उत्पीड़न से मुक्त किया जाना चाहिए।”