जनजीवन ब्यूरो
लखनउ : मुजफ्फरनगर दंगों के लिए गठित विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दंगा भडकने केलिए स्थानीय नेताओं के बयानों को जिम्मेवार ठहराया गया है। राज्यपाल राम नाइक को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि एक घटना घटने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में कुछ प्रमुख दलों के स्थानीय नेताओं के बयानों ने आग में घी का काम किया। बताया जाता है कि स्थानीय अधिकारियों के निकम्मेपन के कारण दंगा फैला। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस रिपोर्ट को तैयार करने में 377 लोगों का बयान दर्ज किया गया है।
अगस्त 2013 में मुजफ्फनगर में दंगा भड़कने के बाद 9 सितंबर 2013 को रिटायर्ड जस्टिस गठित विष्णु सहाय के नेतृत्व में जांट आयोग का गठन किया गया था।आयोग ने 11 सितंबर से जांच शुरू की और जांच रिपोर्ट दो साल 14 दिन बाद सौंपी गई.
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद राजनीति भी तेज हो गयी है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि इस दंगों में जो भी दोषी हो या जो भी शामिल हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में दुर्भाग्य यह है कि आयोगों की सिफारिशें लागू नहीं होती है। वहीं, भाजपा नेता संगीत सोम ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इसका कोई मतलब नहीं है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि हम इस जांच आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और उसके बाद ही पार्टी की ओर से औपचारिक बयान देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि दंगों को भडकाने में समाजवादी पार्टी का हाथ था।
वहीं सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने दंगा पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए पैसे व संसाधन पहुंचाये। उन्होंने सपा पर लग रहे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह भला सरकार अपने ही राज्य में ऐसा क्यों करेगी।
रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय ने कहा कि हमने अखबार में रिपोर्ट तैयार करने के संबंध में विज्ञापन निकाला था कि लोग अपना पक्ष रख सकते हैं और इसके लिए हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। इस पर बहुत सारे लोगों ने हलफनामा पेश किया। उन्होंने इस रिपोर्ट में राजनीतिक नेताओं पर की गयी टिप्पणी पर मीडिया में नो कोमेंट कहते हुए प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने अपना काम कर दिया, अब ईश्वर जानें कि आगे इसमें क्या होगा।