जनजीवन ब्यूरो / जयपुर : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार व राज्यपाल के बीच जारी शीत युद्ध के बीच अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को संशोधित प्रस्ताव भेजा गया है। तीसरी बार भेजे गए प्रस्ताव में राज्यपाल की आपत्तियों के जवाब के साथ- साथ 31 जुलाई से ही सत्र बुलाने का आग्रह किया गया है। आपको बता दें कि मंगलवार को राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर प्रश्नों को लेकर कैबिनेट ने यह मीटिंग बुलाई थी।। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा है। दूसरी तरफ, भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है।
राजस्थान में जारी सियासी संकट का आज 19वां दिन है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में आज उनके आवास पर कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में राज्यपाल की आपत्तियों पर मंथन कर दोबारा उन्हें संशोधित प्रस्ताव भेज दिया गया। मीटिंग समाप्त होने के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कैबिनेट मीटिंग में हुई चर्चा पर मीडिया को विस्तृत जानकारी दी।
खाचरियावास ने बताया कि कांग्रेस की ओर से एक बार फिर विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर पत्र राज्यपाल को दे दिया गया है। दो घंटे चली इस बैठक के बारे में मंत्री खाचरियावास ने बताया कि बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा हुई है। साथ ही हमने राज्यपाल को संशोधित प्रस्ताव भेजकर 31 जुलाई तक सत्र आहूत की मांग की गई है।
बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि हम राज्यपाल से कोई टकराव नहीं चाहते हैं वे हमारे परिवार के मुखिया हैं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने के लिए संशोधित प्रस्ताव एक बार फिर राजभवन को भेजा जाएगा। अब राज्यपाल को तय करना है कि वे हर राजस्थान की भावना को समझें।
क्या सरकार 31 जुलाई से ही सदन बुलाना चाहती है यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा,’ हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं। जो पहले प्रस्ताव था वह हमारा अधिकार है, संवैधानिक अधिकार है। उसी को हम वापस भेज रहे हैं।’
गौरतलब है कि, इससे पहले राज्य सरकार की मांग को दो बार राज्यपाल द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसके बाद राज्यपाल मिश्र ने कहा कि वह सत्र बुलाने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को 21 दिन का नोटिस देने की शर्त माननी पड़ेगी।
मायावती ने जमकर बोला कांग्रेस पर हमला
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बसपा पहले भी अदालत जा सकती थी लेकिन हम कांग्रेस पार्टी और सीएम अशोक गहलोत को सबक सिखाने के लिए समय की तलाश कर रहे थे। अब हमने कोर्ट जाने का फैसला किया है। हम इस मामले को अकेले नहीं होने देंगे। हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनावों के बाद बसपा के छह विधायकों ने बिना शर्त उन्हें समर्थन दिया। दुर्भाग्य से, सीएम गहलोत अपने दुर्भावनापूर्ण इरादे से और बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए विधायकों को कांग्रेस के साथ असंवैधानिक रूप से मिला दिया। अपने अंतिम कार्यकाल में भी उन्होंने ऐसा ही किया था।
भाजपा ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
वहीं, भाजपा के विधायक मदन दिलावर ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। इससे पहले उनकी ही एक याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था।
गहलोत ने प्रधानमंत्री से राज्यपाल के व्यवहार को लेकर बातचीत की
वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्यपाल कलराज मिश्र के व्यवहार को लेकर बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्होंने सात दिन पहले लिखे पत्र को लेकर भी मोदी से बात की। राज्यपाल ने गहलोत सरकार से विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर दिए प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण मांगा है। दूसरी ओर राजस्थान उच्च न्यायालय ने भाजपा विधायक की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी गई थी।
राज्यपाल ने सरकार से दो सवाल किए
राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार से दो सवाल किए हैं। राज्यपाल मिश्र का पहला सवाल है कि क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? यदि किसी भी हालात में सरकार विश्वास मत हासिल करने के लिए कार्यवाही करना चाहती है तो यह संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में हो और वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए। साथ ही इसका लाइव टेलीकास्ट भी होना चाहिए।
दूसरा सवाल यह है कि यह भी साफ किया जाए कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाता है तो सामाजिक दूरी का ख्याल कैसे रखा जाएगा? क्या सरकार के पास ऐसी व्यवस्था है कि वह 200 सदस्य और 1000 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों को इतनी भीड़ में संक्रमण के खतरे से बचा पाए? यदि किसी को संक्रमण हुआ तो उसे फैलने से कैसे रोका जाएगा?