अमलेंदु भूषण खां/ नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या को लेकर लगातार विवाद बढता जा रहा है. बिहार व यूपी में उच्च न्यायालय ने इसे गंभीरत से लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है. सरकारी आंकड़ा कहता है कि देश में अभी तक (18 मई सुबह 8 बजे तक) 2 लाख 74 हजार 390 लोगों की मौत हुई है.
कोरोना से मौत के आंकड़ों को सरकारें कैसे मैनेज कर रही हैं, कम करके दिखा रही हैं. इसका ताजा उदाहरण बिहार में सामने आया है. सरकार ने हाईकोर्ट को दी गयी जानकारी में बताया कि बक्सर जिला में कोरोना से छह लोगों की मौत हुई है. लेकिन प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि 5 से 14 मई के बीच बक्सर जिला में 789 लाशें जलायी गयी थी.
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि सरकार यह बताये कि कौन सी रिपोर्ट सही है. सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट या प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट. यह चौंकाने वाली बात है कि जब सिर्फ छह लोगों की मौत हुई है, तो 789 शव कैसे जलाये गये.
बात यूपी की करें, तो अभी तक 17 हजार 817 लोगों की मौत इस वायरस के कारण हुई है. लेकिन इन आंकडों पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. लखनऊ से लेकर वाराणसी तक, सरकारी आंकड़ों और मृत्यु प्रमाण पत्रों की संख्या में बड़ा फर्क है.
हर ओर बर्बादी का सा मंज़र
पश्चिमी यूपी से लेकर रुहेलखंड तक, अवध के इलाके से लेकर पूर्वांचल तक और बुंदेलखंड से लेकर ब्रज के इलाके तक, हर कहीं केवल कोरोना की ही चर्चा है. हर गांव से, हर कस्बे से, हर शहर से जो तस्वीरें आ रही हैं वो इस बीमारी की भयावहता को दिखा रही हैं. उन्नाव में लाशों को नदी किनारे दबा देने की खबरें हों या फिर लखनऊ के श्मशानों में लगी लाइनों की खबरें, हमीरपुर में नदी में बहती लाशों की खबरें हों या फिर गाजीपुर और बलिया में गंगा में मिली लाशों की खबरें, ये तमाम खबरें आंकडों पर सवाल खड़ी करती हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च के महीने में, लखनऊ में कोविड के कारण 540 लोगों की जान गई. जबकि लखनऊ नगर निगम ने मार्च के महीने में 2422 डेथ सर्टिफिकेट बनाए.
अप्रैल में इस बीमारी से लखनऊ में 672 लोगों की मौत हुई, वहीं इसी दौरान लखनऊ नगर निगम ने 2327 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए.
कोविड के कारण वाराणसी में मार्च में 17 और अप्रैल में 176 लोगों की मौत हुई. जबकि वाराणसी नगर निगम ने मार्च में 739 और अप्रैल में 887 मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए. और 16 मई तक 1265 डेथ सर्टिफिकेट बनाए गए हैं.
अप्रैल के महीने में देवरिया में कोरोना से 162 लोगों की मौत हुई है. जबकि अप्रैल में ही यहां 653 मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए गए और मई के महीने में 9 तारीख तक 300 प्रमाणपत्र बनाए जा चुके थे.
कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े छुपाने का काम सिर्फ बिहार में ही नहीं हो रहा है. यह काम तरकीबन हर राज्य में हो रहा है. गोमिया के ग्रामीणों ने साफ तौर पर बताया था कि 80 लोगों की मौत हुई है. जबकि प्रशासन द्वारा कोरोना से मौत का आंकड़ा महज दर्जन भर बताया गया था. इसी तरह यूपी में भी कोरोना से मौत का आंकड़ा बहुत कम बताया जा रहा है. जबकि असलियत यह है कि हर दिन सैंकड़ों लोग मर रहे हैं. गंगा नदी में करीब 2000 शव मिलने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि कोरोना से मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कई गुणा ज्यादा है.
गुजरात में 71 दिन में मरे 1.24 लोग
पिछले दिनों गुजराती दैनिक दिव्य भाष्कर ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित किया था. रिपोर्ट में 71 दिन के भीतर 1.24 लाख लोगों की मौत का आंकड़ा दिया गया था. जबकि सरकारी आंकड़ा महज कुछ हजार बताये जा रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि पिछले साल इन्हीं 71 दिनों में गुजरात में करीब 53 हजार लोगों की मौत हुई थी. इस तरह इस साल 71 दिन में करीब 70 हजार लोगों की मौत सिर्फ गुजरात में कोरोना से हुई है.