लावण्या झा / नई दिल्ली: देश के इतिहास में पहली बार विधानसभा चुनाव बिना रैलियों के होंगे। ऐसे में देश की बड़ी पार्टियों के साथ ही क्षेत्रीय दलों के नेता डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये जनता तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। लेकिन इस मामले में भाजपा को कोई भी दल टक्कर देने की स्थिति में नहीं दिख रही हैं। हालांकि चुनाव के डिजिटलीकरण के बाद राजनीतिक दल चुनावी राज्यों में डिजिटल रैलियों और इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं।
डिजिटल प्रचार के लिए सबसे मजबूत बीजेपी डिजिटल प्रचार-प्रसार के लिहाज से देखें तो यूपी में सबसे मजबूत भारतीय जनता पार्टी (BJP) है। क्योंकि सबसे पहले 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ही डिजिटल प्रचार अभियान की शुरुआत की थी और भारतीय जनता पार्टी ने इस पर काम करना शुरू किया और आज वह इसमें काफ़ी मजबूत हैं। पहले जिन नेताओं की सोशल मीडिया पर ना के बराबर हाजिरी थी वह भी इससे जुड़ें और अपनी पहुंच को बढ़ाएं लेकिन जब तक वह मजबूत होते बीजेपी काफी आगे निकल चुकी थी। यही वजह है कि आज जब चुनाव आयोग डिजिटल प्रचार के जरिये चुनाव करने का फैसला किया है तो भारतीय जनता पार्टी इसमें काफी आगे दिखाई दे रही है।
बीजेपी प्रवक्ता प्रदेश प्रवक्ता एस एन सिंह का कहना है कि शीर्ष नेता मोदी की बात करें तो उनकी फैन फॉलोइंग वर्ल्ड लेवल की है। योगी आदित्यनाथ की भी फ्रेंड फॉलोइंग काफी अच्छी है। इस लिहाज से उनकी आईटी टीम और उनके संसाधन काफी मजबूत है। यही वजह है की वह करोड़ों प्रदेशवासियों तक अपनी बात पहुंचाने में आसानी महसूस कर रहे हैं। कोरोना की पहली लहर से ही वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर काम करना शुरू दिया था। हमारे पास सोशल मीडिया का स्ट्रांग नेटवर्क है। अखिलेश यादव ने तैयारी नहीं की तो वो परेशान हैं।” बीजेपी जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षित कर चुकी है।
एस एन सिंह का कहना है कि डिजिटल माध्यम से जनता से सीधे संवाद का अनुभव उसके पास पहले से ही काफी मजबूत है। आईटी सेल काफी मजबूत है। मंडल स्तर तक आईटी सेल बने हुए हैं। प्रत्येक जिले मीडिया प्रभारी नियक्त हैं जो सरकार की विकासवादी नीति को गांव गांव तक पहुंचाते हैं। मीडिया और राजनीति से जुड़े लोगों की मानें तो चुनावी रैलियों के जरिये जनता तक पहुँचाने में टेक्नो सेवी भाजपा और कांग्रेस को तो कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन क्षेत्रीय दलों को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं बीजेपी की डिजिटल प्रहार की रणनीति
बीजेपी की डिजिटल प्लॉनिंग क्या है?
यूपी बीजेपी मुख्यालय में वॉर रूम तैयार है। सोशल मीडिया की 6,500 लोगों की टीम है। बीजेपी के 1918 मंडल पर लगभग 5,700 पदाधिकारी हैं। हर मंडल का व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किया गया है। डिजिटल प्रचार सामग्री मुख्यालय से तैयार होगी। बीजेपी पूरे प्रदेश में डिजिटल प्रचार के लिए 9 लाख LED स्क्रीन लगाएगी। 4 हाईटेक स्टूडियो बनकर तैयार हैं। इन डिजिटल स्टूडियो से वर्चुअल रैलियां होंगी. वर्चुअल रैली में एक साथ 10-50 हज़ार लोग जोड़े जा सकेंगे।
बीजेपी के 8,000 प्रशिक्षित कार्यकर्ता देंगे मजबूती
भाजपा ने 8,000 कार्यकर्ताओं को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया है। अगर पांच सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के चुनाव की बात की जाए तो इसे 2,000 संभागों में विभाजित किया गया है। रणनीति के मुताबिक पार्टी उन लोगों पर ध्यान देगी जो इसकी सामाजिक योजनाओं के लाभार्थी रहे हैं। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र को पांच मंडलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक मंडल में 20-25 आईटी कार्यकर्ता हैं।
यूपी के राजनीतिक पार्टियों के सोशल मीडिया फॉलोअर्स
पार्टी ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम
BJP 1.73 करोड़ 1.6 करोड़ 42 लाख
कांग्रेस 84 लाख 62.16 लाख 10 लाख
समाजवादी पार्टी 28 लाख 32.15 लाख 2.63 लाख
बहुजन समाज पार्टी 2. 46 लाख 99 हजार –
आम आदमी पार्टी 50.8 लाख 51.95 लाख 6.13 लाख
एआईएमआईएम 7. 71 लाख 9.15 लाख –
आरएलडी 42 हजार 15 हजार
यूपी के बड़े नेताओं की सोशल मीडिया फॉलोइंग
ट्विटर फेसबुक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 16.8 करोड़ 68.86 लाख
केशव प्रसाद मौर्य 33 लाख 44.60 लाख
अखिलेश यादव 15.4 करोड़ 75 लाख
प्रियंका गांधी 44 लाख 45.19 लाख
असदुद्दीन ओवैसी 21 लाख 36.30 लाख
ओमप्रकाश राजभर 80 हजार दो लाख
शिवपाल सिंह यादव 7.59 लाख 5.57
लाख जयंत चौधरी 1.5 लाख 5000