जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सपा नेता आजम खां शुक्रवार को सुबह 8 बजे के बाद 28 माह बाद जेल से रिहा हो गए। उनकी रिहाई से पहले ही दोनों बेटे अब्दुल्ला, अदीब आजम और शिवपाल सिंह यादव सीतापुर जेल के बाहर पहुंच थे जो उन्हें लेकर रवाना हो गए। वह 28 माह से सीतापुर जेल में बंद थे। हालाकि आजम इतनी जल्दी अपने पत्ते खोलेंगे ऐसा नहीं लगता लेकिन शिवपाल का उत्साहित होना इस बात के संकेत हैं की यूपी में जल्द ही नया मोर्चा आकार ले सकता है। आजम इतनी जल्दी नहीं खोलेंगे अपने पत्ते आजम इतनी जल्दी नहीं खोलेंगे अपने पत्ते समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान बाहर तो आ गए हैं लेकिन राजनीति में उनकी भविष्य की राह क्या होगी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।
आजम राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और वो इस बात को बखूबी समझते हैं की कहां नफा नुकसान है। आजम के सामने कई विकल्प हैं लेकिन उन विकल्पों पर विचार करने से पहले क्या वो एक बार अखिलेश और मुलायम परिवार को बातचीत का मौका देंगे। आजम को मनाने के लिए मुलायम निकाल सकते हैं सुलह का रास्ता आजम को मनाने के लिए मुलायम निकाल सकते हैं सुलह का रास्ता आजम खान को यूपी की राजनीति का अहम खलाड़ी माना जाता है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो आजम और समाजवादी पार्टी के बीच सुलह का रास्ता निकल सकता है और इसमें मूल्य सिंह यादव अहम भूमिका निभा सकते हैं। आजम कुछ शर्तों के साथ समाजवादी पार्टी के साथ हो सकते हैं।
यूपी में दस जून को राज्यसभा चुनाव होने हैं। सपा के पास तीन सीटें हैं जिससे वो राज्यसभा भेज सकती हैं। सूत्रों की माने तो आजम राज्यसभा की सीट पर दावा ठोक सकते हैं। बता जा रहा है की अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए वो राज्यसभा की सीट मांग सकते हैं। इसके अलावा रामपुर में लोकसभा उपचुनाव होना है। उपचुनाव में परिवार के किसी सदस्य को खड़ा किए जाने की शर्त आजम रख सकते हैं। अखिलेश यादव आजम की शर्तों को मान सकते हैं क्योंकि मुसलमानों को लेकर पहले ही वो आलोचना का सामना कर रहे हैं
शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश से अलग होने के बाद से ही वो आजम खान को अपने पाले में लाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। आजमा को लाने के लिए शिवपाल ने अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव पर भी हमला बोल दिया था। शिवपाल ने कहा था की मुलायम चाहते तो आजम को जेल से बाहर ला सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। शिवपाल को भी आजम की अहमियत का अंदाज है और वो जानते हैं की आजम यदि उनके साथ जुड़ गए तो ये उनके लिए बड़ी सफलता होगी। शिवपाल की कोशिश है की आजम को लेकर यूपी में एक नया मोर्चा तैयार किया जाय।
आजम के परिवार से मुलाकात चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोकदल के चीफ जयंत चौधरी के साथ गठबंधन किया था। हालांकि पश्चिमी यूपी में अखिलेश को इस गठबंधन का ज्यादा फायदा हुआ नहीं जिसके बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि अब जयंत भी अगले आम चुनाव के हिसाब से अपनी गोटियां सेट करने का काम शुरू कर चुके हैं। बहरहाल क्या जयंत की पार्टी आजम के लिए एक विकल्प हो सकती है। राजनीतिक पंडितों की माने तो आजम के सामने विकल्प है कि वह आरएलडी में शामिल हो सकते हैं लेकिन वह ऐसा करेंगे इसकी संभावना काफी कम ही है क्योंकि आरएलडी में उनका कद हमेशा जयंत चौधरी के नीचे ही रहेगा जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
आजम खां आम के सामने एक विकल्प यह है कि जेल से रिहा होने के बाद वह सपा के नेता रहे शिवपाल की तरह अलग पार्टी का गठन कर मुस्लिम सियासत की ओर बढ़ सकते हैं। लेकिन आजम को पता है कि यूपी में सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति कर ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहा जा सकता है। इसको देखते हुए इस बात की संभावना भी कम है कि वह अपनी पार्टी बनाएंगे। इसके पीछे एक वजह और है कि यूपी में यदि किसी पार्टी को सियासत करनी है तो वो हिन्दू वोट बैँक को इगनोर नहीं कर सकती। ऐसे में आजम के लिए यह कदम सही नहीं होगा ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है।