जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । संसद के एक मिनट की कार्यवाही पर तकरीबन ढाई लाख रुपये खर्च होते हैं। इस लिहाद से एक घंटे की कार्यवाही पर डेढ़ करोड़ रुपये लगते हैं। सामान्य रूप से राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन में 5 घंटे चलती है। वहीं लोकसभा की कार्यवाही एक दिन में 8 से लेकर 11 घंटे चलती है। एक दिन में तकरीबन 23 करोड़ रुपये का खर्च आता है।जबकि एक हफ्ते यानी सोमवार से लेकर शुक्रवार तक का खर्च बैठता है 115 करोड़। इस लिहाज से संसद के शीतकालीन सत्र में 22 बैठकों के दौरान लगभग 506 करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।
लेकिन16 नवंबर को शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से नोटबंदी की भेंट चढ़ गया। आठ नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान किया। इसके साथ ही पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद कर दिए गए।
इस फैसले के खिलाफ लामबंद हुए विपक्ष ने संसद की कार्यवाही के दौरान रोजाना हंगामा मचाया। हालांकि सरकार की ओर से इस गतिरोध को दूर करने के लिए संजीदा कदम का साफ तौर पर अभाव नजर आया। हर दिन संसद की कार्यवाही शुरू होती और थोड़ी देर में नारेबाजी और हंगामे का दौर शुरू हो जाता।
इन सबके बीच 16 दिसंबर का दिन भी आ गया, जब शीतकालीन सत्र हंगामे की उपलब्धि के बीच खत्म हो गया। हालत ये रही कि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि पक्ष या विपक्ष में से जीते चाहे जो लेकिन हार संसद की हो रही है।
शीतकालीन सत्र में हंगामे की वजह से कई जरूरी बिल भी अटक गए। महज दो बिल ही सत्र में पास हो सके। इनमें एक टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल था, दूसरा राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी बिल-2014। हालांकि टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल फाइनेंस बिल होने की वजह से पास हो गया, इसे राज्यसभा से पास कराने की कोई जरूरत नहीं थी। संसद सत्र की 22 बैठकों में 9 बिल पेश होने थे।
इनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े तीन बिल पास होने थे। पहला केंद्र का जीएसटी बिल, दूसरा इंटीग्रेटेड जीएसटी बिल और तीसरा जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई तय करने वाला बिल। लेकिन हंगामे के चलते यह पास नहीं हो सका।
16वीं लोकसभा में अब तक नुकसान
पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद, 40 लाख रुपये बर्बाद।
दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 मिनट स्वाहा, 20 करोड़ 7 लाख रुपये का नुकसान।
तीसरे सत्र में 3 घंटे, 28 मिनट कार्यवाही बर्बाद, 5 करोड़ 20 लाख का नुकसान।
चौथे सत्र में 7 घंटे, 4 मिनट बर्बाद, 10 करोड़ 60 लाख रुपये हंगामे की भेंट चढ़े।
पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद, 178 करोड़ 50 लाख रुपये हंगामे में स्वाहा।