जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली: एक तरफ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा और दूसरी तरफ आम बजट . केंद्र सरकार जहां विपक्षी दल पर चुनाव से भागने का आरोप लगा रही है वही केंद्र सरकार की सहयोगी दल शिवसेना भी आम बजट को लेकर सरकार को कठघरे में खड़े कर रही है. इसी मामले को लेकर आज 16 विपक्षी दल चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा रही है. विपक्षी दलों के चुनावों से पहले बजट पेश किये जाने के विरोध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कदम का बचाव किया और कहा कि जब वे दावा कर रहे हैं कि नोटबंदी अलोकप्रिय फैसला है तो फिर वे डर क्यों रहे हैं. जेटली ने कहा, ‘ये वे राजनीतिक दल हैं जो कहते हैं कि नोटबंदी की लोकप्रियता काफी कम है. ऐसे में आखिर वे क्यों बजट से डर रहे हैं.’
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बताया कि यह स्पष्ट है कि सरकार बजट का दुरुपयोग करेगी. वोटरों को लोकलुभावन बजट से आकर्षित करने का प्रयास सरकार करेगी.
एनडीए की सहयोगी शिव सेना के नेता संजय राउत भी विपक्षी दलों के आरोप का साथ दे रहे हैं. उनका कहना है कि बजट को चुनाव होने तक टाल दिया जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा तथा मणिपुर में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के साथ ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग अब इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या केंद्र सरकार वार्षिक बजट 1 फरवरी को पेश कर सकती है या नहीं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ नसीम ज़ैदी ने बताया कि ‘एक राजनैतिक दल’ ने कहा है कि केंद्र सरकार को चुनाव संपन्न होने से पहले आम बजट 2017-18 पेश करने से रोका जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश समेत राज्यों में चुनावों के बाद मार्च 2012 में बजट पेश किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह कोई परंपरा नहीं है जिसका हर समय पालन किया जाए’ जेटली ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है, किसी ने उसे नहीं रोका. यहां तक कि 2014 में बजट आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले पेश किया गया. यह संवैधानिक आवश्यकता है.’ सरकार वित्त वर्ष के पहले दिन से कल्याणकारी तथा अन्य योजनाओं पर खर्च शुरू करने के इरादे से लंबे समय से फरवरी के अंत में बजट पेश किये जाने की परंपरा को बदली है.