जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । एक महीने में 4 से अधिक बार नकद जमा करने या निकालने पर बेहिसाब चार्ज लगाने का कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इसे बैंकों का वित्तीय आतंकवाद करार दिया है और बैंकों द्वारा आम आदमी को अपनी मनमर्जी पर रखे जाने की कड़ी निंदा भी की है । कैट ने कहा है की इस तरीके से देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है। बैंकों का यह कदम सीधे तौर पर आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेगा क्योंकि बचत खातों और सैलरी खातों से नाता आम लोगों का है जिनको अनेक जिम्म्मेदारी पूरी करने के लिए बैंकों से नकद निकलवाना भी पड़ता है और जमा भी कराना पड़ता है ।
एक मार्च से 4 से ज्यादा निकासी पर 150 रुपए का कर लगाया गया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बैंकों के इस कदम का घोर विरोध करते हुए कहा की देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक है और कैट गत दो वर्षों से अधिक समय से मास्टरकार्ड के साथ मिलकर संयुक्त रूप से देश भर में डिजिटल भुगतान को अपनाने को लेकर एक राष्ट्रीय अभियान भी चलाये हुए है । यदि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है तो सरकार को डिजिटल भुगतान पर लगने वाले शुल्क को सब्सिडी के माध्यम से बैंकों को भरपाई करनी चाहिए और इसके साथ हुई डिजिटल भुगतान कारण पर इंसेंटिव स्कीम भी दी जानी चाहिए । व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर शुल्क का भर नहीं पड़ना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन एवं ट्रेड एसोसिएशन सहित अन्य संगठनों के साथ आपसी बातचीत के आधार पर सरकार को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने हेतु एक बृहद योजना बनानी चाहिए।