जनजीवन ब्यूरो
इटावा । अखिलेश यादव की सरकार जाने के बाद भी यूपी में हालात में कोई सुधार नहीं आ रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ का दंभ कुछ ही दिनों में टूटने लगा है। इसका नमूना इटावा के में देखने को मिला। एक पिता को अपने बेटे की लाश ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। बेटे का शव कंधे पर ले जाने के लिए पिता को विवश होना पड़ा।
इटावा के विक्रमपुर का उदयवीर अपने बेटे पुष्पेंद्र का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचा था। उसका आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने उसके बेटे का इलाज नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गयी। उदयवीर ईंट भट्ठे पर मुनीम है। उसके पुत्र के पेट में दो दिन से दर्द हो रहा था। जब वह अस्पताल में इमरजेंसी में तैनात डाक्टर पीयूष त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे देखकर बताया कि इसकी मौत हो चुकी है। उसके हार्ट व फेफड़े काम नहीं कर रहे थे। उदयवीर डाक्टर को दिखाने के बाद अपने पुत्र को कंधे पर लादकर अस्पताल परिसर के बाहर ले आया।
उदयवीर का कहना है कि वह दो बार अपने बेटे को अस्पताल लेकर आया था लेकिन डॉक्टर इलाज से टालते रहे। बेटे के पैरों में दर्द था, डॉक्टरों ने उसे बिना देखे ही मृत घोषित कर दिया और उसे अस्पताल से ले जाने के लिए कह दिया।
आरोप है कि उसे एंबुलेंस की सुविधा अपने पुत्र को घर ले जाने के लिए नहीं दी गई। वह अकेला ही अपने पुत्र को अस्पताल के बाहर लाया और टेंपो में लादकर उसे अपने गांव ले गया। अस्पताल में तैनात चिकित्सक पीयूष त्रिपाठी का कहना है कि पुष्पेंद्र की जांच की गई थी। वह मृत अवस्था में आया था इसी बीच भरथना में बस दुर्घटना के यात्री आ गए जिसके कारण अस्पताल के लोग उसमें व्यस्त हो गए। उसने एंबुलेंस की मांग किसी से नहीं की और बिना बताए ही पुत्र को लेकर चला गया।
मामला सोशल मीडिया में आने पर सीएमओ डॉ राजीव कुमार यादव का कहना है कि दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएमएस डॉ. अशोक पालीवाल का कहना है कि डॉक्टर ने बच्चे को देखा था वह पहले ही मर चुका था।