जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दर्द निवारक दवाओं के हाई डोज़ लेने वाले सावधान हो जाइए नहीं तो आपको हार्ट अटैक हो सकता है. एक ताज़ा अध्य्यन से पता चला है कि हाई डोज़ वाली आम दर्द निवारक गोली से दिल के दौरे का ख़तरा हो सकता है.ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में इन दवाओं के इस्तेमाल को दिल की बीमारी की समस्याओं से जोड़ा गया है. अध्य्यन के मुताबिक़ इन दवाओं के इस्तेमाल के 30 दिनों के भीतर दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ सकता है.
वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 446763 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया. वैज्ञानिकों ने बिना डॉक्टरी सलाह के ख़रीदी जाने वाली दवाओं के बजाए उन दर्द निवारक दवाओं पर ध्यान दिया जो डॉक्टरों ने लिखी थीं जैसे आईब्रूफेन, डायक्लोफेंस और नेपरॉक्सन.
कनााडा, फिनलैंड और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का कहना है कि दर्द और सूजन का इलाज करने के लिए ली जाने वाली इन दर्द निवारक दवाओं के हाई डोज़ लेने के पहले हफ्ते के दौरान और ख़ास तौर पर पहले महीने में ही दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ सकता है.
द ओपन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केविन मैककॉन्वे ने कहा कि इस रिसर्च ने दर्द निवारक दवाओं और दिल के दौरे के बीच संभावित तौर पर संबंध होने पर रोशनी डाली है.
लेकिन उनका कहना है, “रिसर्च में बड़ी संख्या में मरीज़ों के शामिल होने के बावजूद कुछ पहलू अब भी साफ नहीं है.”
मैककॉन्वे का कहना है- ये अब भी संभव है कि दर्द निवारक दवाएं वास्तव में अतिरिक्त दिल के दौरे के लिए ज़िम्मेदार ना हों.
उन्होने कहा कि उदाहरण के लिए ज़्यादा दर्द होने पर किसी डॉक्टर ने दर्द निवारक का हाई डोज़ दिया और फिर अगले हफ्ते ही उसे दिल का दौरा पड़ जाए तब ये कहना मुश्किल होगा कि दिल का दौरा दर्द निवारक दवाओं की वजह से पड़ा या इससे पहले दी गई दवाओं की वजह से. इसकी कुछ और वजह भी हो सकती है.
प्रोफेसर मैककॉन्वे ने कहा कि दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाने के कई अन्य कारण जैसे धूम्रपान और मोटापे को इसमें शामिल नहीं किया जो कि आंशिक तौर पर इसके लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं.
पहले किए जा चुके शोधों से डॉक्टर जानते हैं कि दर्द निवारक दवाएं दिल के दौरे के ख़तरे को बढ़ा देती हैं.
ब्रिटेन में दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ जिन लोगों को दिल से जुड़ी समस्याएं हैं उन्हें संभल कर दर्द निवारक दवाएं लेनी चाहिए और कुछ मामलों में तो लेनी ही नहीं चाहिए.
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के डॉक्टर माइक नेप्टन का कहना है कि मरीज़ों और डॉक्टरों ने दर्द निवारक दवाओं के हाई डोज़ के फायदों के साथ ख़तरों को बढ़ाया है, ख़ासतौर पर तब जब किसी को दिल का दौरा पड़ चुका हो और दोबारा दौरा पड़ने का ख़तरा हो.
इस शोध में उन दवाओं को लिया गया जो डॉक्टरों ने लिख कर दी थी लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के ख़रीदी जाने वाली दवा को नहीं लिया गया.
हालांकि वैज्ञानिक हेलेन स्टोक्स का कहना है कि इस अध्य्यन के ज़रिए उन मरीज़ों के बीच जागरुकता फैलानी चाहिए जो इलाज के लिए अपनी मर्ज़ी से दर्द निवारक दवाएँ लेते हैं.
एनएसएस की अनुसार लोगों को दर्द निवारक दवाओं का कम डोज़ कम वक़्त के लिए ही लेना चाहिए.
एक स्वतंत्र शोध कहता है कि इस अध्य्यन की अहम चूक ये है कि इससे ये पता नहीं चलता कि इसका सीधा ख़तरा क्या है या ये ही दिल के दौरे का आधार है.
इस शोध के मुताबिक़ बिना किसी ठोस आधार के इससे दिल के दौरे के ख़तरे के बढ़ने पर निर्णय लेना मुश्किल है.