जनजीवन ब्यूरो / नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने आज राष्ट्रपति चुनाव के तिथियों की घोषणा कर दी जबकि उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा बाद में की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम नसीम जैदी ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि अगर मतदान की आवश्यकता हुई तो 17 जुलाई 2017 को मतदान होगा। मतों की गिनती 20 जुलाई को होगी। आयोग ने इससे पहले बताया कि 14 जून को राष्ट्रपति चुनाव का नोटफिकेशन जारी किया जायेगा। 28 जून को नामांकन की आखिरी तारीख है। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 1 जुलाई है।
जैदी ने बताया कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जाएंगे। 20 जुलाई को नये राष्ट्रपति के नाम का ऐलान होगा। आपको बताते चलें कि भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई 2017 को समाप्त हो रहा है। अगले महीने देश के 14वें राष्ट्रपति को चुना जायेगा। विपक्षी दलों में अब तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर आम सहमति नहीं बन पायी है, जबकि सरकार भी अपनी पार्टी और सहयोगी दलों के साथ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनने में जुटी है।
ऐसे चुना जाता है राष्ट्रपति
राष्ट्रपति चुनाव में जनता के प्रतिनिधि विधायक और सांसद ही वोट डालते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में बैलट व्यवस्था के बजाय खास तरीके से मतदान होता है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है। सरल शब्दों में समझें तो एक मतदाता एक ही मत दे सकता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों में प्राथमिकता बताता है। मसलन मान लें कि पांच उम्मीदवार हैं, तो मतदाता उनमें अपनी प्राथमिकता के हिसाब से बताएगा कि कौन उसकी पहली पसंद है और कौन आखिरी। अगर पहली पसंद वाले मत से विजेता तय नहीं हो पाता, तो मतदाता की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट के रूप में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी यह भी रोचक बात है कि सर्वाधिक मत हासिल करने से यहां जीत नहीं मिलती। राष्ट्रपति उसे चुना जाता है, जो मतदाताओं (विधायकों और सांसदों) के मतों के कुल वेटेज का आधा से अधिक हिस्सा हासिल करे। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले को कितना वेटेज पाना होगा।
AAP के विधायकों के खिलाफ हाउस ऑफ प्रॉफिट के मामले में केस चल रहा है, लेकिन इलेक्शन कमीशन का कहना है कि ये विधायक भी वोट डाल सकेंगे।
12 नॉमिनेटेड राज्यसभा सदस्य वोट नहीं डाल सकेंगे। इसके अलावा लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी के नॉमिनेटेड सदस्य भी वोट नहीं डाल सकेंगे।
फिलहाल राज्यसभा में 10 सीटें खाली सीटें हैं, जिनके लिए चुनाव की घोषणा राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही की जाएगी।
MP:एक सांसद के वोट की वैल्यू तब पता चलेगी जब आप विधायकों के कुल वोटों को सांसदों की कुल संख्या से भाग दें। इस फॉर्मूला के तहत अभी एक MP के वोट की वैल्यू 708 है।
MLA:राज्य की आबादी / (वहां के कुल विधायकों की संख्या * 1000)।
किसी भी दल को अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए 50% यानी 5,49, 442 वोटों की जरूरत है।
टोटल MLAs टोटल MPs MLAs की वोट वैल्यू MPs की वोट वैल्यू टोटल वोट वैल्यू
4114 776 5,49.474 5,48,408 10,98,882
पिछली बार के नतीजे
कैंडिडेट कुल वोट कौन जीता, कितने वोट मिले
2 10,29,750 प्रणब मुखर्जी (7,13,763)
NDA के पास कितने वोट?
– लोकसभा, राज्यसभा, स्टेट असेंबली को मिलाकर टोटल 5,27,371 वोट होते हैं। एनडीए का टोटल वोट पर्सेंटेज 48.10 फीसदी है।
UPA के पास कितने वोट?
– साझा कैंडिडेट उतारने की स्थिति में सभी अपोजिशन पार्टियां एक हो जाती हैं तो टोटल वोट 5,68,148 होंगे यानी करीब 51.90%। ये पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए काफी हैं।
ये वोट तय करेंगे, किसकी पसंद का होगा अगला प्रेसिडेंट
NDA की नजर AIADMK (5.36%), BJD (2.98%), TRS (1.99%), YSRCP (1.53) जैसी पार्टियों पर रहेगी। इन पार्टियों का सपोर्ट किसे जाएगा, अभी तय नहीं है। इनका टोटल वोट 13% के आसपास है। ऐसे में अगर कोई एक बड़ी पार्टी या दो पार्टियों का सपोर्ट मिल जाता है तो NDA अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बना लेगी।