प्रदीप शर्मा/ मंदसौर । मध्य प्रदेश के मंदसौर की हालत बेहद गंभीर होती जा रही है। किसानों का गुस्सा केंद्र और राज्य सरकार दोनों के प्रति है। केंद्र की मोदी सरकार की चुप्पी से जहां किसानों का गुस्सा सातवें आसमान चढ़ रहा है वहीं राज्य.सरकार की दोगली नीति से किसान नाराज हैं। हिंसा और तनाव की चपेट में चल रहे मंदसौर जा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिवार वालों से मिलने के लिए राहुल बाइक पर सवार होकर मंदसौर जा रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें नीमच में ही हिरासत में ले लिया।
राहूल का कहना है कि किसानों की इस बदहाली के लिए प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र और सीएम शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘मोदी ने अमीरों के हजारों करोड़ रुपये टैक्स माफ कर दिए, लेकिन किसानों का कर्ज माफ नहीं करते, किसानों को मुआवजा नहीं दे सकते। मोदी सिर्फ किसानों को गोली दे सकते हैं। मैं बस इस देश के नागरिक इन किसानों से मिलना चाहता था, उनकी बात सुनना चाहता था।’
पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद राहुल ने ट्वीट करके कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार उन्हें पीड़ित किसान परिवारों से नहीं मिलने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। मंदसौर में मंगलवार छह जून को पुलिस की गोलीबारी में पांच किसान मारे गए थे। राहुल गांधी गुरुवार 8 जून सुबह 10 बजे उदयपुर एयरपोर्ट पहुंच गए थे। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार ने किसी को भी वहां जाने की इजाजत नहीं दी है। किसानों के आंदोलन और उसके बाद हुई हिंसा के बाद मंदसौर के डीएम एस कुमार सिंह और एसपी ओपी त्रिपाठी हटा दिए गए हैं।
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि भाजपा किसानों के लिए मौत के अभिशाप की तरह है। पीड़ित किसानों को बीजेपी ने बहुत बेरुखी से देखा है। यह हिंसा की एक बड़ी वजह है। बीजेपी ने राहुल गांधी को वहां न जाने की सलाह दी है। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, जब तक स्थिति सामान्य न हो जाए कांग्रेस उपाध्यक्ष को मंदसौर नहीं जाना चाहिए। उनका कहना था कि कांग्रेस नेता केवल प्रचार के भूखे हैं। इसलिए वह ऐसा कर रहे हैं। पश्चिमी मध्य प्रदेश में 6 दिन पहले लोन माफी की मांग और अनाज के अच्छे दामों को लेकर किसानों ने प्रदर्शन शुरू किया था। आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में 1,600 से ज्यादा किसानों की मौत हुई थी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2011 से 2015 तक 6076 किसानों ने आत्महत्या की थी।
सूबे के किसान दो बातों से नाराज थे। पहला उनकी फसल खरीदकर सहकारी समितियां कर्ज की रकम काट रही थीं। दूसरा मंडी में दलाल और कारोबारी उपज कम दाम पर खरीद रहे थे। इन्हीं मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ और राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के नेता शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने आंदोलन शुरू किया। शिवकुमार संघ के ही नेता रहे हैं। उन्हें कुछ साल पहले बर्खास्त किया गया था। साफ है कि दोनों संगठनों में भाजपा विचारधारा से जुड़े लोगों ने आंदोलन भड़काया।
सरकार ने बड़ी चालाकी से भारतीय किसान संघ से समझौता किया। सरकार ने संघ से आंदोलन खत्म होने की घोषणा कराई। इससे किसान खफा हो गए। चूंकि भाजपा और संघ के लोग मांगे पूरी हुए बिना आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते थे, इसलिए यह और तेजी से भड़का। प्रदेश भाजपाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने इस आग में घी डालने का काम किया। चौहान ने कहा, भारतीय किसान संघ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सम्मान करेगा। इस बात से किसान और भड़क गए। वहीं, सरकार पूरे मामले में अंधेरे में ही रही। उसके पास न तो आंदोलन के उग्र होने की खबर थी, न प्रशासनिक तंत्र ने इसे संभालने की कोशिश की।
मंगलवार 6 जून को मंदसौर जिले में प्रदर्शन के दौरान 5 किसानों की गोली लगने से मौत के बाद तनाव बेहद बढ़ गया है। शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर के जरिए किसानों से शांति की अपील भी की थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हालात के बारे में एक बैठक की थी। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में शांति बहाल करने के लिए दंगा-रोधी पुलिस बल के 1100 जवानों को भेजा है।
केंद्र सरकार ने हिंसा पर और हिंसा-प्रभावित क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि द्रुत कार्य बल (आरएएफ) के करीब 600 जवान पहले ही स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए मंदसौर पहुंच चुके हैं। राज्य सरकार के अनुरोध पर गृह मंत्रालय आरएएफ के 500 और जवानों को मंदसौर भेज रहा है।