अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । अपने आसपास आबादी देख कर जी जरुर घबराता होगा आपका. लेकिन अगर इसकी रफ्तार यूं ही जारी रही तो आपकी अगली नस्लों सड़कों पर ऐसे चलेंगी जैसे भक्त कुंभ के मेले में एक दूसरे से सट कर चलते हैं. इस समस्या के मद्देनजर सरकार ने एक अहम फैसला लिया है जिसके तहत वह सास व बहु को एक ही छत के नीचे लाकर समझाने की कोशिश करेगी कि सेक्स पर कुछ इस तरह से लगाम लगाई जाए तांकि परिवार में लगातार इजाफा न हो,
असल में सात राज्यों ने बेताहाशा आबादी बढ़ा कर केंद्र सरकार को अचंभित कर डाला है. सरकार इतनी परेशान है कि इन राज्यों के 146 जिलों की बढ़ती आबादी की जांच कराने जा रही है. इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सास-बहु का राष्ट्रीय सम्मेलन कराने जा रहा है जिसमें दोनों साथ बैठ कर समझ सकेंगी कि पति-पत्नी के बीच संबंध को उस सीमा से पार न जाने दिया जाए जिससे परिवार गैरजरुरी ढंग से न बढ़े.
दूसरे शब्दों में कहें यह सम्मेलन सेक्स की राशनिंग पर जोर देगा. सम्मेलन का स्थान और तारीख राज्यों और बाकी पक्षों के साथ सहमति बना कर जल्द घोषित की जाएगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा का मानना है कि इससे आबादी नियंत्रण में मदद मिलेगी. बकौल नड्डा बेताहाशा बढ़ती आबादी बहुत ही चिंताजनक पहलू है.
सात राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान और असम के 146 जिलों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. लाख कोशिश करने के बावजूद आबादी नियंत्रित नहीं हो पा रही है, जबकि बांकि राज्यों की आबादी दर सामान्य है. लगातार बढ़ रही आबादी से केंद्र सरकार परेशान है इसलिए इसकी जांच करवाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है. चिंता का कारण यह है कि इन 146 जिलों में तीन से ज्यादा बच्चे पैदा किए जा रहे हैं जबकि देश के अन्य जिलों में औसत से भी कम बच्चे पैदा किए जा रहे हैं.
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के 11 जिले श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराईच, सिद्धार्थनगर, बदायूं, सीतापुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बांदा, गोंडा, ईटा, बिहार के आठ जिले अररिया, शिवहर, किशनगंज, सहरसा, खगरिया, पश्चिमी चंपारण, मधेपुरा, पूर्वी चंपारण, मध्य प्रदेश के पन्ना और शिवपुरी, और राजस्थान के बारमेर व धौलपुर जिले में टोटल फर्टिलिटी रेट यानि चार से ज्यादा बच्चे लोग पैदा कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के 19 जिले जिनमें बाराबंकी, कौशांबी, खेरी, मुरादाबाद, एसके नगर, सोनभद्र, फरुखाबाद, चित्रकुट, फिरोजाबाद, पीलीभीत, महोबा, जेपी नगर, हमीपरपुर, रामपुर, बस्ती, फतेहपुर, बरेली, अलीगढ़, औरेया, बिहार के नौ जिले जिनमें दरभंगा, कटिहार, सीतापढ़ी, समस्तीपुर, पूर्णिया, शेखपुरा, गोपालगंज, सिवान व सुपौल, मध्य प्रदेश के छह जिले विदिशा, सतना, छत्तरपुर, दमोह, शिहोर और राजस्थान के बांसवाड़ा, करौली, जालौर,डुंगरपूर, सवाई माधोपुर, उदयपुर, झारखंड के पाकुर, लोहरदगा, गुमला, छत्तीसगढ़ के कवरधा और असम के हैलाकांडी जिले में साढ़े तीन से 3.9 बच्चे औसतन पैदा हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के 27 जिले जिनमें बुलंदशहर, मैनपुरी, सहारनपुर, रायबरेली,चंदौली, कनौज, हाथरस, देवरिया, जालौन, उन्नाव, आजमगढ़, ईटावा, बागपत, सुल्तानपुर, अंबेडकर नगर, फैजाबाद, बलिया, मुज्जफ्फरनगर, बिजनौर, कुशीनगर, महराजगंज, इलाहबाद, मेरठ, आगरा, मथुरा, गाजीपुर व ललितपुर, बिहार के 20 जिले जिनमें मुजफ्फरपुर, मधुबनी, भागलपुर, रोहतास, बांका,कैमूर, सारण, मुंगेर, जमुई, जहानाबाद. अरवल, नवादा, लखीसराई,वैशाली, बेगुसराय, औरंगाबाद, नालंदा व गया, मध्य प्रदेश के 17 जिले गुना, मोरना, शाजांपुर, सिद्दी, दिंदोरी, रायसेन, रेवा, उमरिया, सागर, टिकमगढ़, पूर्वी निमार, पश्चमी निमार, नरसिमपुर, राजगढ़, रतलाम, सिवोनी, राजस्थान के छह जिले राजसमुंद, जैसलमेर, पाली, सिरोही, भरतपुर, बारन, झारखंड के साहिबगंज, पश्चमी सिंहभूम, चतरा, दुमका, गढ़वा, छत्तीसगढ़ के सरगुजा व असम के करीमगंज जिले में औसतन तीन से साढ़े तीन बच्चे पैदा किए जा रहे हैं.
देश की आबादी बढ़ाने में इन 146 जिलों की 28 फीसदी भागीदारी है. आबादी बढ़ाने में जिस तरह से ये जिले आगे हैं उसी तरह मातृत्व मृत्यु दर में भी आगे हैं. मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार इन 146 जिलों में मातृत्व मृत्यु दर 25- 30 फीसदी है और नवजात मृत्यु दर 50 फसदी है. जबकि पूरे देश का नवजात मृत्यु दर प्रति हजार 41 पर आ गया है. इन राज्यों में ज्यादा बेरोजगारी रहने के कारण युवक आबादी बढ़ाने में ज्यादा व्यस्त रहते हैं. साथ ही झिझक के कारण कंडोम, गर्भनिवारक गोलियों का सेवन भी कम किया जा रहा है. जिसके कारण आबादी तेजी से बढ़ रही है.
मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो इन राज्यों में सेक्स के बारे में लोग खुलकर बात भी नहीं करते हैं. इसीलिए केंद्र सरकार ने युवा दंपतियों को कम बच्चे पैदा करने की नसीहत के साथ-साथ लुभाने की भी योजना बनाई है. इसके तहत पंचायत भवन में कंडोम और गर्भ निरोधक गोलियां उपलब्ध करवाया जाएगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकें.
केंद्र सरकार नव विवाहित जोड़े को आबादी नियंत्रण की जानकारी देने के लिए नई पहल नामक एक कार्यक्रम भी बनाया है. इसके तहत नव विवाहितों को आशा कार्यकर्ता परिवार नियोजन का एक किट देंगे जिनमें सेक्स के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होगी।
इसके अलावा छोटा परिवार, सुखी परिवार का ज्ञान देने के लिए केंद्र सरकार छोटे स्तर के कलाकारों का भी सहारा लेने जा रही है.