जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है,लेकिन चुनावी विसात बिछने लगी है। राजद-जदयू और कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव में न सिर्फ नरेंद्र मोदी के फॉर्मूले को अपनाएंगे बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चुनावी गणित का प्रयोग अपनी जीत सुनिश्चित करने में कर सकते हैं।
गठबंधन का नेता चुने जाने के कुछ घंटे बाद ही नीतीश ने बढ़ चला बिहार के साथ सामने आए। लोकसभा चुनाव में जहां मोदी गुजरात के विकास की बात दोहराते रहते थे उसी तरह नीतीश भी पिछले दस साल के दौरान बिहार के विकास की गाथा जनता के सामने रख सकते हैं। बिहार 2०25 के जरिए नीतीश अपनी सरकार के काम और भविष्य के सपने दिखा रहे हैं।
बताया जाता है कि नीतीश चुनाव के दौरान लोगों को उसी तरह के सपने दिखाएंगे जिस तरह से मोदी ने दिखाए थे। जदयू सूत्रों की माने तो ब्रांड नीतीश की पैकेजिग की जा रही है। इसमें अच्छे सेल्समैन और इवेंट मैनेजर के तौर पर खुद को उभारने की कोशिश है। मोदी बड़े ब्रांड ही नहीं सफलता के आइकॉन बनकर उभरे हैं। हालांकि भाजपा नेता इस बात के उग्रवादियों और आतंकवादियों के लिए प्रयोग किए हैं, लेकिन नीतीश लोहे की काट लोहा को अपनाने जा रहे हैं। मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत कुमार को नीतीश कुमार अपने साथ पहले ही जोड़ चुके हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने रिक्शा, ऑटो रिक्शा पर पोस्टर व होर्डिंग लगाकर गरीब तबके को अपने पक्ष में जोड़ने में सफल हुए थे। उसी फॉर्मूले को नीतीश अपनाने जा रहे हैं। बताया जाता है कि नीतीश जनभागीदारी को महत्व देकर भाजपा की चुनावी रथ को रोकने का भरपूर प्रयास करेंगे, क्योंकि इसी फॉर्मूले से केजरीवाल ने दिल्ली फतह की है।
जद यू एक पदाधिकारी ने बताया कि जिस तरह से केजरीवाल ने गली मोहल्ले में सभा आयोजित कर लोगों की नब्ज टटोले उसी तरह नीतीश भी अपनी रणनीती बनाकर जनता के बीच नया संदेश देने का प्रयास करेंगे। बिहार कैसा होगा इसके लिए जनता की राय ली जाएगी. सेमिनार, लेक्चर, जनसंवाद और सबसे बढ़कर मुख्यमंत्री के सात नाश्ते का आयोजन भी जीत सुनिश्चत करने के लिए आयोजित किए जाएंगे।
ये भी पढ़ें