जनजीवन ब्यूरो /नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए जो बजट संसद में पेश किया है, उसके अनुसार केंद्र सरकार आम जनता को अब तक का सबसे बड़ा झटका देने जा रही है। बजट के अनुसार सरकार पीपीएफ एक्ट को खत्म करने जा रही है। इसके स्थान पर जितनी भी 10 प्रमुख सेविंग योजनाएं सरकार चला रही है वो सभी की सभी सेविंग अकाउंट में तब्दील हो जाएंगी।
आम जनता को नहीं होगा फायदा
इस एक्ट के खत्म हो जाने के बाद उन लोगों को ज्यादा ब्याज का फायदा नहीं मिलेगा, जो कि नया इन्वेस्टमेंट करेंगे। सभी नए इन्वेस्टमेंट सेविंग बैंक एक्ट 1873 के अनुसार होंगे। हालांकि उन लोगों को ज्यादा ब्याज का फायदा मिलेगा, जिन्होंने फाइनेंस एक्ट 2018 के लागू होने से पहले का इन्वेस्टमेंट कर रखा है।
पीपीएफ एक्ट के खत्म होने से जिन अकाउंट्स पर सर्वाधिक असर पड़ेगा, उनमें पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक अकाउंट, नेशनल सेविंग मंथली इनकम, नेशनल सेविंग आरडी अकाउंट, सुकन्या समृद्धि अकाउंट, नेशनल सेविंग टाइम डिपॉजिट (1,2,3 और 5 साल), सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम, एनएससी, पीपीएफऔर किसान विकास पत्र शामिल हैं।
अगर संसद बजट के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा देती है, तो फिर सरकार गजट में नए कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी कर देगी। अगर यह हो गया तो सरकार देश भर में लागू सोशल सिक्युरिटी के नाम पर चल रही तमाम स्कीमों को बंद कर देगी।
आप पर ऐसे पड़ेगा असर
इस कानून के लागू हो जाने के बाद आपको इन योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज, बैंकों में मिलने वाले ब्याज के समान हो जाएगा। अभी पीपीएफ और एनएससी पर 7.6, केवीपी पर 7.3 फीसदी, सुकन्या समृद्धि खाते पर 8.1 फीसदी, एक से पांच साल तक के टर्म डिपोजिट पर ब्याज दर 6.6 से 7.4 फीसदी और पांच वर्षीय रिकरिंग डिपोजिट पर 6.9 फीसदी ब्याज दर है। अभी सरकारी बैंकों में सेविंग अकाउंट पर 3.50 से 4.50 फीसदी के बीच ब्याज मिलता है। वहीं प्राइवेट बैंकों में यह 6 फीसदी के करीब है।